Maharashtra Election: लोकसभा चुनाव के समय महाराष्ट्र में पवार vs पवार की लड़ाई देखने को मिली थी. जिसमें जीत एनसीपी शरद पवार की हुई थी. इसके बाद अजित पवार ने मीडिया के सामने अपनी गलती मानी थी. उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में बहन के सामने पत्नी को चुनाव में नहीं खड़ा करना चाहिए था. यह मेरी गलती थी. भविष्य में यह गलती मैं नहीं दोहराऊंगा. अब एक बार फिर से ऐसा ही माहौल विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रहा है. लेकिन राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार यह गलती नहीं दोहराना चाहते.
एनसीपी अजीत गुट के मुखिया अजीत पवार ने इसके लिए पीएम मोदी गुहार लगाई है. अजित ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने बारामती निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी रैली नहीं करने का अनुरोध किया है. यह अनुरोध इसीलिए है क्योंकि यहां से उनके भतीजे उनके सामने चुनाव में खड़े हैं. बारामती सीट से मौजूदा विधायक पवार अपने भतीजे युगेंद्र पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. युगेंद्र, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के उम्मीदवार हैं.
20 नवंबर महाराष्ट्र में चुनाव होना है. इस चुनाव के लिए पीएम मोदी शुक्रवार से प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए उतर रहे हैं. लेकिन पीएम मोदी बारामती में चुनावी रैली को संबोधित नहीं करेंगे. अजित पवार जब इस मसले पर पूछा गया कि पीएम उनके निर्वाचन क्षेत्र में रैली क्यों नहीं करेंगे, तो उन्होंने कहा कि बारामती में मुकाबला परिवार के भीतर है.
अजित पवार के इस स्टेटमेंट से यह साफ़ पता चल रहा है कि वह अपनी पिछली गलती नहीं दोहराना चाहते। वह परिवार के खिलाफ नहीं होना चाहते. अजित के इस बयान से यह भी साफ होता है कि उनके लिए गठबंधन से बड़ा पवार परिवार है.
अजित ने पीएम को किया मना
पीएम मोदी एनडीए गठबंधन के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं. गठबंधन के सभी उम्मीदवारों ये चाहते हैं कि पीएम उनके क्षेत्र में उनके लिए चुनाव प्रचार करे. लेकिन अजित पवार ने परिवार का मामला बताकर पीएम मोदी को बारामती से दूर रहने की बात कही है.
बता दें, 2024 के लोकसभा चुनाव में परिवार की लड़ाई में ही अजित पवार को झटका लगा था. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार यहां से चुनाव हार गई थीं. यहां उनका मुकाबला अपनी ननद सुप्रिया सुले से हुआ था. पत्नी की हार के बाद अजित ने माना कि उन्हें इस सीट से अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में नहीं उतारना चाहिए था.
बारामती पर शरद पवार का कब्जा
पिछले छह दशक से बारामती विधानसभा सीट पर शरद पवार का कब्जा है. इस सीट से अजित पवार जीत जाते हैं तो शरद पवार का 60 साल पुराना वर्चस्व समाप्त हो जाएगा. वहीं, प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में अगर अजित यहां से चुनाव हार जाते हैं कि उनके लिए शायद ही कोई विकल्प बचे. 30 साल तक उन्होंने खुद इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है.
इधर शरद पवार ने मंगलवार को युगेंद्र पवार के पक्ष में प्रचार करते हुए चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. हालांकि, इस दौरान उन्होंने अजित पवार के खिलाफ कुछ नहीं बोला. साथ ही उनके काम की भी तारीफ की. बारामती शरद पवार की पारिवारिक सीट है.