Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राजनीति अब एक नई दिशा में बढ़ती दिखाई दे रही है, जहां मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद पर विवाद तो खत्म हो गया, लेकिन अब मंत्रिमंडल में पदों के बंटवारे को लेकर घमासान मचने की संभावना है. देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद पर कब्जा किया है, और यह कोई अचरज की बात नहीं है क्योंकि फडणवीस लंबे समय से भाजपा का चेहरा रहे हैं.
भाजपा की इस सफलता का मुख्य कारण यही है कि महाराष्ट्र में भगवा झंडे को ऊंचाई पर लाने का श्रेय फडणवीस को जाता है. भाजपा की सत्ता में वृद्धि और उसकी जीत की बुनियाद भी फडणवीस की कड़ी मेहनत और नेतृत्व पर आधारित है. इसके बाद, सीएम-डिप्टी सीएम का पद का बंटवारा भी हो चुका है, लेकिन अब असली विवाद मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर है.
गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय चाहती है बीजेपी
अब तक जो बातें साफ हो चुकी हैं, वो ये हैं कि भाजपा ने पहले सीएम के पद पर कब्जा किया और अब वो दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इन दोनों मंत्रालयों का महत्व बहुत बड़ा है, और यही कारण है कि भाजपा इन दोनों को अपने पास रखना चाहती है. गृह मंत्रालय पहले फडणवीस के पास था और अब भी भाजपा इसे अपने पास रखना चाहती है. वहीं, वित्त मंत्रालय पर अजित पवार की नजर है, क्योंकि वे इस मंत्रालय का नेतृत्व पहले भी कर चुके हैं.
यहां पर सबसे अहम बात यह है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना गृह मंत्रालय की डिमांड कर रही है, और शिंदे ने अपनी शपथ भी इस मंत्रालय के वादे पर ही ली थी. शिवसेना के विधायक भी इस मंत्रालय की लगातार मांग कर रहे हैं, और इस मामले में अगर भाजपा अपना रुख नहीं बदलती है, तो शिंदे गुट में नाराजगी बढ़ सकती है.
अजित पवार और भाजपा का टकराव
अजित पवार की एनसीपी भी इस विवाद से बाहर नहीं है. वे वित्त मंत्रालय पर अपना हक समझते हैं, क्योंकि वे पहले भी इस मंत्रालय को संभाल चुके हैं. अगर भाजपा यह मंत्रालय अपने पास रखती है, तो पवार गुट के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है. इस स्थिति में, अजित पवार का नाराज होना स्वाभाविक है, और इससे महायुति में दरारें पड़ सकती हैं.
इसका असर महायुति के अंदर गहरे मतभेदों के रूप में सामने आ सकता है, क्योंकि पहले केवल सीएम पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान थी, अब इसमें अजित पवार भी शामिल हो गए हैं. इस प्रकार, यह मुद्दा अब तीन पार्टियों के बीच उलझ सकता है.
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महायुति में और बढ़ सकती है दरार
अगर भाजपा गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय दोनों अपने पास रखती है, तो यह महायुति के भीतर तकरार का कारण बन सकता है. भाजपा के पास कुल 132 सीटें हैं, जबकि शिंदे की शिवसेना के पास 54 और अजित पवार की एनसीपी के पास 34 सीटें हैं. इस लिहाज से सीटों का बंटवारा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भाजपा के कोटे में 20 मंत्री पद हैं, शिंदे गुट के पास 13 और पवार गुट के पास 8 मंत्री पद हैं.
अब, जब मंत्रालयों के बंटवारे की बात आएगी, तो इस पर तकरार और बढ़ सकता है, क्योंकि सभी गुट अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतियों को अंजाम देंगे. फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा फ्रंटफुट पर खेलने को तैयार है और यह तय किया है कि जो मंत्रालय भाजपा के पास होंगे, उन पर कोई समझौता नहीं होगा. इससे शिंदे और पवार दोनों की नाराजगी हो सकती है, जिससे महायुति के भीतर एक नया राजनीतिक संकट उत्पन्न हो सकता है.
महाराष्ट्र में भाजपा, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर संघर्ष बढ़ने की संभावना है. भाजपा गृह और वित्त मंत्रालय अपने पास रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है, जिससे महायुति में दरारें और गहरी हो सकती हैं. शिंदे और पवार दोनों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी पेचीदा हो सकती है, और महायुति के भीतर आंतरिक विवादों के कारण राज्य की राजनीति में हलचल मच सकती है.