मणिपुर में JDU ने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह को हटाया, BJP सरकार से समर्थन वापस लेने की दे दी सजा!

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फोटो- सोशल मीडिया)
Manipur Politics: मणिपुर में सियासी हलचल तेज हो गई है. जनता दल यूनाइटेड ने अपने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह को पद से हटा दिया है. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब वीरेंद्र सिंह ने मणिपुर के राज्यपाल को एक पत्र लिखकर भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की. आइए, विस्तार से जानते हैं कि इस घटनाक्रम के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और यह मणिपुर की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा.
क्या था समर्थन वापस लेने का कारण?
वीरेंद्र सिंह ने मणिपुर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में जेडीयू का समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया था. इस पत्र में उन्होंने बताया कि चुनाव के बाद जेडीयू ने भाजपा को समर्थन दिया था, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी के भीतर कुछ ऐसे घटनाक्रम सामने आए, जो इस समर्थन को जारी रखना मुश्किल बना रहे थे.
वीरेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कहा कि जेडीयू के 5 विधायक पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इसके अलावा, मणिपुर विधानसभा में जेडीयू का एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर भी विपक्षी खेमे में शामिल हो गए हैं. इसका मतलब था कि भाजपा और जेडीयू के बीच कोई सामूहिक समर्थन नहीं बचा था. इसी कारण वीरेंद्र सिंह ने भाजपा सरकार से जेडीयू का समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया .
अब जहां एक ओर वीरेंद्र सिंह ने भाजपा से समर्थन वापस लेने की बात की थी, वहीं जेडीयू ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी मणिपुर के साथ-साथ बिहार और केंद्र में भाजपा के साथ खड़ी रहेगी. जेडीयू ने यह भी कहा कि पार्टी अपनी प्राथमिकताओं और गठबंधन को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की असहमति के बावजूद वह भाजपा सरकार का समर्थन जारी रखेगी.
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मणिपुर में जेडीयू का भविष्य क्या
मणिपुर में भाजपा के प्रति जेडीयू का समर्थन और बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू का भाजपा के साथ गठबंधन राजनीति के लिए एक दिलचस्प मोड़ ले सकता है. अब देखना यह है कि पार्टी की इस कार्रवाई के बाद मणिपुर में जेडीयू का भविष्य क्या होगा और इसके बिहार और केंद्र पर क्या प्रभाव पड़ता है.
मणिपुर में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह को हटाने के इस फैसले के बाद पार्टी की राजनीति में बदलाव की उम्मीदें हैं. पार्टी ने भले ही अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की हो, लेकिन मणिपुर की राजनीति में भाजपा और जेडीयू के बीच नए समीकरण उत्पन्न हो सकते हैं. इसके अलावा, यह भी सवाल उठता है कि क्या मणिपुर में विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट हो पाएंगे और क्या बिहार में भी इसकी राजनीतिक लहर देखी जाएगी. जेडीयू के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या पार्टी अपने पुराने गठबंधन को बनाए रखने में सफल होती है या नई रणनीतियों के तहत सियासी खेल खेलने का फैसला करती है.