Maoist Links Case: माओवादी संबंध मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा (G. N. Saibaba) को बड़ी राहत मिली है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार, 5 मार्च को साईबाबा की उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया. वह फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है.
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2022 को प्रोफेसर जीएन साईबाबा को रिहा कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया था.
प्रोफेसर साईबाबा को मई 2014 में नक्सलियों के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वहीं, गढ़चिरौली कोर्ट ने 2017 में उन्हें मामले में दोषी करार दिया था. साईबाबा को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दोषी ठहराया गया था. गिरफ्तारी से पहले वह डीयू के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे.
ये भी पढ़ेंः यूपी में पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई, भर्ती बोर्ड की अध्यक्ष रेणुका मिश्रा पर एक्शन, इन्हें मिली अब जिम्मेदारी
कैसे फंसे थे साईबाबा?
दरअसल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र हेम मिश्रा को जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान मिश्रा ने खुलासा किया था कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपे नक्सलियों और प्रोफेसर जीएन साईबाबा के लिए वह काम करता है. जिसके बाद साईबाबा को गिरफ्तार किया गया था.
ये भी पढ़ेंः यूपी सरकार में कौन सा विभाग चाहते हैं ओम प्रकाश राजभर? जानें कैबिनेट विस्तार पर SBSP प्रमुख ने क्या कहा
जानिए कौन हैं जीएन साईबाबा
साईबाबा का जन्म 1967 में आंध्र प्रदेश में एक गरीब परिवार में हुआ था. पोलियो के कारण वह 5 साल की उम्र से व्हीलचेयर का उपयोग कर रहे हैं. गिरफ्तारी से पहले साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे. उन्हें मई 2014 में नक्सलियों के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनपर माओवादियों के गुट क्रांतिकारी डेमोक्रेटिक फ्रंट का सदस्य होने का आरोप लगा था.