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‘कपड़े, कीर्ति चक्र… सब ले गई बहू’, शहीद अंशुमान के माता-पिता का छलका दर्द, बोले- स्मृति ने परमानेंट एड्रेस भी बदलवा दिया

Kirti Chakra Awardee

शहीद अंशुमान के माता-पिता का छलका दर्द

Captain Anshuman Singh News: नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पांच जुलाई को आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 10 जवानों को उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था. इनमें से सात को मरणोपरांत इस सम्मान से नवाजा गया था. सियाचिन में साथियों को बचाने में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह की ओर से उनकी पत्नी स्मृति और मां यह पुरस्कार लेने पहुंची थीं. लेकिन अब शहीद अंशुमान के माता-पिता ने अपनी बहु पर कई आरोप लगा डाले हैं.

सेना से रिटायर शहीद अंशुमान सिंह के पिता राम प्रताप सिंह का कहना है कि बहु स्मृति अपने पति की फोटो एल्बम, कपड़े और कीर्ति चक्र को लेकर अपने घर गुरदासपुर चली गई हैं. वह न सिर्फ बेटे का मेडल लेकर गईं बल्कि उसके दस्तावेजों में दर्ज परमानेंट एड्रेस को भी बदलवाकर अपने घर गुरदासपुर का करवा दिया है. उन्होंने कहा, “स्मृति ने बेटे के दस्तावेजों में दर्ज परमानेंट एड्रेस को बदलवाकर गुरदासपुर का करवा दिया है. सरकार की तरफ से अब भविष्य में जब कोई भी पत्राचार होगा तो वह स्मृति के पते पर होगा. हमारा कोई वास्ता नहीं रहा.”

बता दें कि राम प्रताप सिंह ने एक निजी न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान उपरोक्त बातें कही. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया, “19 जुलाई 2023 को जब बेटा शहीद हुआ, तब बहू स्मृति और नोएडा में बीडीएस की पढ़ाई कर रही मेरी बेटी के साथ थी. मैंने दोनों को कैब से लखनऊ बुलवाया और लखनऊ से हम गोरखपुर गए. वहां अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन तेरहवीं के अगले ही दिन स्मृति ने घर जाने की जिद कर ली.स्मृति के पिता ने बेटी की पूरी जिंदगी का हवाला दिया तो मैंने खुद कहा कि अब यह मेरी बहू नहीं बेटी है और अगर स्मृति चाहेगी तो हम दोनों मिलकर इसकी दोबारा शादी करेंगे और बेटी के तौर पर मैं विदा करूंगा.”

सेना से रिटायर रामप्रताप सिंह कहते हैं कीर्ति चक्र लेने अंशुमान की मां भी साथ गई थीं. लेकिन मैं तो उसको एक बार छू भी नहीं पाया. हालांकि इस मामले पर अब तक स्मृति का पक्ष सामने नहीं आया है.

कीर्ति चक्र मिलने के बाद ये बोलीं स्मृति?

कीर्ति चक्र मिलने के बाद स्मृति ने अपने पति शहीद अंशुमान सिंह की राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण की कहानी साझा की थी.

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