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सदन में ‘श्वेत पत्र’ ले आई मोदी सरकार, लोकसभा चुनाव से पहले ‘पोल खोल राजनीति’!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

White Paper: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा के पटल पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा. सरकार ने 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल के आर्थिक प्रदर्शन की तुलना भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 10 साल के आर्थिक प्रदर्शन से करने के लिए ‘श्वेत पत्र’ लाएगी. अब मोदी सरकार ने सदन में श्वेत पत्र लाई है. इसके माध्यम से यूपीए सरकार के दौरान क्या-क्या आर्थिक कुप्रबंधन रही इसे विस्तार से बताया जाएगा.

सरकार द्वारा ‘श्वेत पत्र’ में बताई गई महत्वपूर्ण बातें

त्वरित समाधान करने के बजाय, एनडीए सरकार ने साहसिक सुधार किए और मजबूत अधिरचना का निर्माण किया.

राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता से लैस एनडीए सरकार ने यूपीए के विपरीत, व्यापक आर्थिक भलाई के लिए कड़े फैसले लिए.

2014 में अर्थव्यवस्था संकट में थी.

मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन ने भारत को निरंतर उच्च विकास के दृढ़ पथ पर स्थापित किया है.

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यूपीए को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी: वित्त मंत्री

श्वेत पत्र में कहा गया कि  यूपीए को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, लेकिन 10 वर्षों में इसे गैर-निष्पादित अर्थव्यवस्था बना दिया गया. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने उन सिद्धांतों को त्याग दिया जो आर्थिक उदारीकरण लाए थे. केंद्र ने अपना राज्यसभा कार्यकाल पूरा करने के दिन मनमोहन सिंह सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार था.

क्यों लाई गई है श्वेत पत्र?

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि लोकसभा के 543 सदस्यों को चुनने के लिए आगामी आम चुनाव अप्रैल और मई 2024 के बीच होने की उम्मीद है. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार, वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड प्रभावशाली दिखता है. उम्मीद है कि देश अगले तीन वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और निरंतर सुधारों के दम पर 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. दस साल पहले, मौजूदा बाजार मूल्यों पर $1.9 ट्रिलियन की जीडीपी के साथ, देश दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था.

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