Narendra Modi Government: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार को केंद्र के निर्देश के बाद ब्यूरोक्रेसी में ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती के लिए जारी अपना लेटेस्ट विज्ञापन रद्द कर दिया. यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी. जैसे ही यूपीएससी ने राजनीतिक विवाद के बीच लेटरल एंट्री का अपना विज्ञापन रद्द कर दिया.
2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के मुताबिक नहीं रहीं. बीजेपी को केवल 240 सीटें ही मिलीं. वहीं, उनके एलायंस को 292 तक पहुंची. 10 साल में पहली बार हुआ था, जब बीजेपी बहुमत के जादुई आंकड़े को छू नहीं पाई थी. लेकिन, तीसरी बार पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी. पिछले 10 साल में पीएम मोदी की आगुवाई सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए थे, जिसमें 370 शामिल है. जिसका विपक्ष ने विरोध किया था. लेकिन, कई बिल सरकार अपने बहुमत के दम पर आसानी से पास कराने में सफल रही.
आखिरी वक्त में सरकार को बदलना पड़ा फैसला
अब जब 2024 में बीजेपी की सरकार बनी तो उसे बहुमत के आंकड़े के लिए एनडीए के साथियों के सहारे की जरूरत पड़ी. पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी एनडीए गठबंधन की ये सरकार तीसरे महीने में प्रवेश कर चुकी है. लेकिन इस बार कई मौके ऐसे आए, जब सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े. इसमें 3 बिल तो खूब चर्चा में रहे, जहां सरकार को आखिरी वक्त में अपना फैसला बदलना पड़ा.
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों लेटरल एंट्री
हाल ही में यूपीएससी (UPSC) ने केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के 45 पदों के लिए लेटरल इंट्री का नोटिफिकेशन जारी किया था. इस पर जमकर विवाद हुआ. विपक्ष ने आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को घेरा. साथ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टियों जेडीयू, LJP (रामविलास) और जीतन राम मांझी की पार्टी ने इसका विरोध किया. हालांकि, पीएम मोदी के निर्देश के बाद इस विज्ञापन को वापस ले लिया गया.
वक्फ बोर्ड बिल
तीसरे कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लेकर आई थी. इस बिल को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष सरकार को इस पर सदन में लगातार घेरता रहा. सरकार चाहती तो इस बिल को पास करा सकती थी, लेकिन बढ़ते विवाद के देखते हुए सरकार ने इसे जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) को भेज दिया. 8 अगस्त को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद में पेश किया गया. सहयोगी पार्टियों के समर्थन के बावजूद सरकार ने विपक्ष के विरोध के चलते यू-टर्न ले लिया. ये फैसले सरकार के ऐसे थे जिनको लेकर कहा जाने लगा कि सरकार विपक्ष के दबाव में है.
ब्रॉडकास्टिंग बिल को लेकर भी बदला स्टैंड
तीसरे कार्यकाल के पहले ही मानसून सत्र में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव इस बिल को पेश किया था. इस बिल को लेकर न केवल विपक्ष बल्कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने विरोध किया. अंततः मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने सोसल मीडिया ‘एक्स’ पर इस बिल को वापस लेने और इस नए मसौदे के साथ इसे लाने की जानकारी दी. मंत्रालय ने आम लोगों की राय भी इस पर मांगी है.