Gyanvapi Case: साल था 1993. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा रोक दी थी. यह कदम 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने के तुरंत बाद उठाया गया था. सत्ता में आने के बाद समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े नेता ने पूजा रोकने का फैसला किया. 1993 से पहले काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी स्थल पर प्रतिदिन पूजा होती थी.
जब पांच महिलाएं आईं आगे
साल 2003 में पांच महिलाएं आगे आईं और एक याचिका दायर कर काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर के भीतर मां श्रृंगार गौरी स्थल पर पूजा करने की अनुमति मांगी. वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन, उच्च न्यायालय में पांच महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अब वर्षों बाद एक बार फिर अदालत के आदेश से ज्ञानवापी के भीतर व्यास तहखाने में पूजा शुरू हो गई है. रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.
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वकील जैन ने की मुलायम सिंह यादव की आलोचना
हिन्दू पक्ष के वकील जैन ने हिंदू होने के बावजूद ऐसा फैसला लेने के लिए मुलायम सिंह यादव की खूब आलोचना की है. वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी सरकार ने 1993 में लोहे की बाड़ लगाकर कार्रवाई की थी. स्थल के आसपास और पूजा गतिविधियों को रोक दिया गया. उन्होंने व्यासजी गणेशजी, और हनुमानजी की पूजा बंद करने का आदेश दिया था.
व्यास जी तहखाने की बैरिकेडिंग
बताया जाता है कि 1993 से व्यास जी के तहखाने को बंद कर दिया गया और बैरिकेडिंग कर दी गई. उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. अयोध्या राम जन्मभूमि मामले को लेकर मुलायम सिंह यादव ने बैरिकेडिंग लगा दी कि यहां सांप्रदायिक माहौल न बिगड़े और लड़ाई-झगड़े न हों. इससे पहले अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के दौरान खूब बवाल हुआ था.
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कारसेवकों पर हमले का डॉक्यूमेंट्री करने वाले अयोध्या के एक पत्रकार ने कहा था कि स्वयंसेवकों पर हेलीकॉप्टर से भी गोलीबारी की गई थी. कुछ महीने बाद, 1991 में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए और भाजपा के कल्याण सिंह सत्ता में आए. एक साल बाद, 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया, जिसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया.
राज्य एक साल तक राष्ट्रपति शासन के अधीन रहा और अगले चुनाव में मुलायम सिंह सत्ता में लौट आए. और फिर 1993 में, पुलिस को अयोध्या राम मंदिर कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने के कुछ ही साल बाद, मुलायम सिंह ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में ‘व्यासजी का तहखाना’ में पूजा बंद करवा दी. इस तरह मुलायम ने वाराणसी में ज्ञानवापी और अयोध्या में राम जन्मभूमि दोनों पर अपनी छाप छोड़ी. हालांकि, अब अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बन गया है और ज्ञानवापी में पूजा अर्चना शुरू हो गई है.
सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे
बताते चलें कि हाल ही में हुए सर्वेक्षण के बाद ASI अपनी 850 पन्नों की विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों कलाकृतियों, टूटी हुई मूर्तियों और मूर्तियों से पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के दावे को मजबूत करता है. रिपोर्ट 21 जनवरी को वाराणसी की जिला अदालत में प्रस्तुत करने के बाद 25 जनवरी को जारी किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, संरचना के भीतर दक्षिणी गलियारे के निचले कमरे में पाया गया एक शिलालेख मुगल सम्राट औरंगजेब के 20वें शासनकाल के दौरान एक मस्जिद के निर्माण की याद दिलाता है,