Nalanda University: पीएम मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया. परिसर के उद्घाटन के लिए आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूत शामिल हुए. विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है. विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; सतत विकास और प्रबंधन स्कूल सहित छह स्कूल हैं.
विश्वविद्यालय का इतिहास से गहरा नाता है. लगभग 1600 साल पहले स्थापित मूल नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है. 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था. विश्वविद्यालय का नया परिसर नालंदा के प्राचीन खंडहरों के करीब है.
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12वीं सदी के दौरान आक्रमणकारियों ने यूनिवर्सिटी को किया नष्ट
विशेषज्ञों की मानें तो 12वीं सदी के दौरान आक्रमणकारियों के आक्रमण का प्रकोप इस यूनिवर्सिटी को झेलना पड़ा था. आक्रमणकारियों ने यूनिवर्सिटी को नष्ट कर दिया था. इससे पहले लगभग 800 वर्षों तक इस विश्वविद्यालय में कई छात्र शिक्षित होते आए हैं. बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय की नींव गुप्त राजवंश के कुमार गुप्त प्रथम ने रखी थी. पांचवीं सदी में ये प्राचीन विश्वविद्यालय बना था जिसमें 10 हजार छात्र पढ़ते थे. यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे.
छात्रों के लिए कई सुविधाएं
नालंदा यूनिवर्सिटी में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं. इनमें करीब 40 क्लासरूम हैं. यहां पर 1900 से ज्यादा बच्चों के बैठने के लिए सुविधाएं हैं. यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरिम भी बनाए गए हैं. इसमें करीब 300 सीटें हैं. इसके अलावा दूसरी सुविधाओं की बात करें तो एम्फीथिएटर भी बनाया गया है. यहां पर भी करीब दो हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं. छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स भी बनाए गए हैं. नालंदा यूनिवर्सिटी का कैंपस नेट जीरो कैंपस है. अगर सरल शब्दों में बताए तो यहां पर पर्यावरण के अनुकूल एक्टिविटी और पढ़ाई होगी. कैंपस में पानी की भी काफी बेहतर सुविधा है. पानी को रि-साइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है. इसमें कई सारी सुविधाएं तो पर्यावरण के हिसाब की ही हैं.