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New Criminal Law: तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, जानें सरकार ने अमल में लाने के लिए कैसे की तैयारियां

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एक जुलाई से बदल जाएगा भारत का कानून

New Criminal Law: एक जुलाई यानी आज से अपराध और न्याय प्रणाली से जुड़े भारत के तीन कानूनों में बड़ा बदलाव हो गया है. आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है. इस बदलाव के बाद अपराध से संबंधित धाराओं, उनकी विवेचना और न्यायिक प्रक्रिया में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. इन कानूनों के लागू होने के पहले सभी प्रदेशों की पुलिस को प्रशिक्षित किया जा गया, ताकि आपराधिक विवेचना में कोई गलती न हो. इसी क्रम में कार्यान्वयन की तैयारी के लिए सरकार ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस विभाग के प्रमुखों के साथ बैठक कर तैयारियां की हैं. साथ ही इस दिन को मनाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है.

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय ने भी किया प्रचार-प्रसार

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने निर्देश जारी कर कहा है कि नए कानूनों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से विश्वविद्यालयों और कानूनी शिक्षा केंद्रों के पाठ्यक्रमों में जोड़ा जाए. वहीं स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से इस दौरान अक्टूबर से मार्च के बीच कक्षा 6 से ऊपर के छात्रों के लिए विशेष मॉड्यूल बनाया जाएगा. मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी की ओर से IAS/IPS/न्यायिक अधिकारियों और अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो समेत फोरेंसिक लैब के अधिकारियों के लिए पांच दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया है. देश के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय ने 21 जून को लगभग 40 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं के लिए नए कानूनों को लेकर वेबिनार का आयोजन किया गया. वहीं अंग्रेजी वाला वेबिनार 25 जून को आयोजित किया गया. इसमें करीब 50 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. पुलिस अनुसंधान-विकास ब्यूरो ने प्रचार के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह के साथ काम कर रहा है. पोस्टर और फ्लायर्स भी बनाए गए हैं. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सलाह, प्रेस रिलीज, इन्फोग्राफिक्स के जरिए नए कानूनों का प्रचार किया जा रहा है.

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राजधानियों में स्थानीय मीडियाकर्मियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन

प्रेस सूचना ब्यूरो ने नए आपराधिक कानून को लेकर 20 राज्यों की राजधानियों में स्थानीय मीडियाकर्मियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) ने FIR के पंजीकरण समेत अन्य सुविधाओं के लिए अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) एप्लिकेशन में 23 मोडिफिकेशन किए गए हैं. राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को ब्यूरो की ओर से टेक्निकल सहायता भी जा रही है और कॉल सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं. 14 मार्च को एक मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया गया.राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से अपराध की जगह, न्यायिक सुनवाई की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की सुविधा के लिए एप्लिकेशन बनाया गया है. वहीं पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने पुलिस, जेल, अभियोजकों, न्यायिक अधिकारियों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और केंद्रीय पुलिस के लिए 13 प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए हैं. BPR&D ने पहले ही 250 प्रशिक्षण के लिए वेबिनार/सेमिनार आयोजित किए हैं. इसमें 40 हजार से अधिक अधिकारियों/कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, वरिष्ठ पुलिस कर्मी भी हिस्सा ले चुके हैं.

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