Haryana Election: कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर गतिरोध के बीच आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 20 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है. पार्टी ने कलायत से अनुराग ढांढा, उचाना कला से पवन फौजी, भिवानी से इंदु शर्मा और रोहतक से बिजेंद्र हुड्डा को मैदान में उतारा है. इससे पहले AAP की राज्य इकाई के प्रमुख सुशील गुप्ता ने कहा कि अगर शाम तक सौदा तय नहीं होता है तो उनकी पार्टी सभी 90 सीटों के उम्मीदवारों के नाम जारी करेगी. हरियाणा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है. मतदान 5 अक्टूबर को होना है.
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— Vistaar News (@VistaarNews) September 9, 2024
AAP ने की थी 10 सीटों की मांग
पीटीआई के मुताबिक, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों की संख्या को लेकर बातचीत अटकी हुई है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने 10 सीटों की मांग की है जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों की पेशकश की है. गठबंधन के बारे में आप को कांग्रेस की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, “हम शाम तक 90 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर देंगे.” गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस से जवाब का इंतजार कर रही है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि गुप्ता और महासचिव (संगठन) संदीप पाठक समेत पार्टी के नेताओं ने पहले ही कहा है कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जैसे ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल से मंजूरी मिल जाएगी, पार्टी चुनाव लड़ेगी.
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कांग्रेस और AAP का गठबंधन फायदा
राजनीति के जानकारों का मानना है कि हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का माहौल बना हुआ है, और इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने गठबंधन की दिशा में कदम बढ़ा सकती है, लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद भी बात नहीं बनी है. अब AAP ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर इरादे साफ कर दिए हैं. आप ने ये भी कहा है कि अगर गठबंधन नहीं होता है तो हमारी सूची तैयार है. हम सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे.
कांग्रेस और आप की शुरुआती बातचीत से लग रहा था कि दोनों दल मानते हैं कि बढ़ती असंतोषजनक भावनाओं का लाभ उठाकर वे चुनावी लाभ हासिल कर सकते हैं. इस गठबंधन का आधार केवल वर्तमान चुनाव की रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा भी है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह गठबंधन होता है, तो सत्ता विरोधी लहर का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है. दोनों पार्टियां मिलकर सत्ता विरोधी मुद्दों को प्रमुखता देने और जनता की असंतोषजनक भावनाओं को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर सकती हैं. कांग्रेस और AAP का सहयोग भविष्य की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, जिससे दोनों दल साझा हितों को बेहतर तरीके से आगे बढ़ा सकेंगे. हालांकि, फिलहाल तो ये दूर की कौड़ी है.