Chandrayaan-3: आज से ठीक एक साल पहले 23 अगस्त 2023 को ISRO ने एक ऐसा ऐतिहासिक कारनामा किया था जिसने पूरे देश को गर्व और उत्साह से भर दिया था. शाम 6 बजकर 4 मिनट पर ISRO के चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा था. इसी के साथ भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला और चांद पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. इस पल ने भारत को वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई. इस दिन को यादगार बनाने के लिए भारत में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
Greetings to everyone on the first National Space Day. We recall with great pride our nation’s achievements in the space sector. It is also a day to laud the contributions of our space scientists. Our Government has taken a series of futuristic decisions relating to this sector… pic.twitter.com/E7QcNDSm4u
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2024
चंद्रयान-3 मिशन का महत्व
चंद्रयान-3 मिशन भारत का तीसरा मून मिशन था, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित था. इससे पहले 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लांच किया था, जिसने चंद्रमा की ऑर्बिट तक पहुंचने में सफलता पाई थी. इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 लांच किया गया, जिसका उद्देश्य चांद की सतह पर लैंडिंग करना था. हालांकि, अंतिम चरण में लैंडर विक्रम का संपर्क टूट जाने के कारण यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया.
चार साल की कठिन मेहनत और तकनीकी सुधारों के बाद ISRO ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 को लांच किया और 23 अगस्त को इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की. इस मिशन ने न केवल भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नए युग की शुरुआत की.
चंद्रयान-3 से क्या मिला?
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद विक्रम लैंडर और उसके साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर कई हैरान करने वाली चीजें ढूंढ निकाली.
1. चांद का तापमान: विक्रम लैंडर में एक ऐसा उपकरण लगा था जो चांद की सतह से 10 सेंटीमीटर गहराई तक तापमान माप सकता था. इस उपकरण ने बताया कि चांद की सतह और सतह के नीचे का तापमान काफी भिन्न होता है. सतह की तुलना में सतह के नीचे का तापमान लगभग 60 डिग्री सेल्सियस तक कम होता है.
2. चांद पर भूकंप: विक्रम लैंडर ने यह भी पता लगाया कि चांद पर लगातार हल्के भूकंप आते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये या तो प्राकृतिक भूकंप हो सकते हैं या फिर किसी उल्का पिंड की टकराहट के कारण चांद पर कंपन हो सकता है.
3. सल्फर की मौजूदगी: प्रज्ञान रोवर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है. इसके अलावा, चांद की सतह पर सिलिकॉन, आयरन, कैल्शियम और एल्युमिनियम जैसे तत्व पाए जाने की पुष्टि भी हुई.
4. मैग्मा का महासागर: हाल ही में ISRO ने चंद्रयान-3 से मिले आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया कि कभी चांद की सतह मैग्मा के महासागर से ढकी थी. इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया कि जहां चंद्रयान-3 उतरा था, उसके आसपास की चट्टानें फरोअन एनोर्थोसाइट से बनी हैं. इसने चांद की सतह और उसकी आंतरिक संरचना के निर्माण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी.
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