NEET Exam 2024: नीट एग्जाम को लेकर देश में बवाल जारी है. देशभर में छात्र अंडरग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट यूजी में धांधली को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि नीट परीक्षा को रद्द कर के दोबारा से कराया जाए और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए. अब छात्रों की मांग का समर्थन समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी किया है. उन्होंने इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की है. सपा नेता ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “एक देश, एक ही मांग रद्द हो NEET एग्जाम”.
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा- “एक देश, एक ही माँग रद्द हो NEET एग्जाम”@yadavakhilesh #AkhileshYadav #NEET #neetscam2024 #VistaarNews pic.twitter.com/sfaO8RJkM8
— Vistaar News (@VistaarNews) June 16, 2024
जयराम रमेश ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी एक्स पोस्ट में लिखा, “मैं 2014 और 2019 के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति का सदस्य था. मैं उस समय NEET के लिए मिलने वाले व्यापक समर्थन को याद करता हूं. लेकिन ऐसे सांसद भी थे.विशेष रूप से तमिलनाडु से — जिन्होंने चिंता जताई थी कि NEET से सीबीएसई के छात्रों को लाभ मिलेगा और दूसरे बोर्ड एवं स्कूलों से आने वाले स्टूडेंट्स को नुकसान पहुंचेगा.”
रमेश ने आगे लिखा, “मुझे अब लगता है कि सीबीएसई के इस मुद्दे पर उचित विश्लेषण की ज़रूरत है. क्या NEET भेद-भाव से भरा है? क्या गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है? महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों ने भी NEET को लेकर गहरा संदेह जताया है. राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की सत्यनिष्ठा और NEET को जिस तरह से डिजाइन और प्रशासित किया जाता है उसके तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. पिछले दशक में NCERT का खुद का प्रोफेशनलिज्म खत्म हुआ है. उम्मीद है कि नई स्थायी समिति गठित होने पर NEET, NTA और NCERT की गहन समीक्षा करेगी. इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए.”
मैं 2014 और 2019 के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति का सदस्य था। मैं उस समय NEET के लिए मिलने वाले व्यापक समर्थन को याद करता हूं। लेकिन ऐसे सांसद भी थे — विशेष रूप से तमिलनाडु से — जिन्होंने चिंता जताई थी कि NEET से सीबीएसई के छात्रों को लाभ मिलेगा और…
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क्या है मामला?
बता दें कि नीट परीक्षा एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी) आयोजित कराती है. देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस यानी डॉक्टरी की व दांतों की डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए करीब 1 लाख सीटें हैं. इनमें से करीब 40 हजार सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं. 60 हजार के करीब सीटें प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में हैं. खेल इन्हीं 40 हजार सीट्स के लिए है क्योंकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 5 साल के कोर्स के लिए एक से सवा करोड़ रुपये तक लगते हैं. सरकारी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई के लिए 5 साल में औसतन सिर्फ 5 लाख रुपये ही लगते हैं.
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5 मई को आयोजित हुई थी नीट की परीक्षा
इस बार 5 मई को पूरे देश में नीट की परीक्षा आयोजित हुई थी. कुल 23 लाख 33 हजार 297 छात्रों ने परीक्षा दी थी. एग्जाम का रिजल्ट पहले 14 जून को आना था. मगर, 10 दिन पहले 4 जून को घोषित कर दिया गया. यानी वह तारीख जिस दिन लोकसभा चुनावों का भी रिजल्ट आया. रिजल्ट आया तो कई तरह की खामियां नजर आईं. धीरे-धीरे आवाज उठी तो यह पूरा एग्जाम ही एक बड़ा घोटाला नजर आने लगा. आरोप है कि फर्जी तरीके से छात्रों को टॉप कराया गया है. मामले में अभी तक कई केस भी दर्ज किए गए हैं.