One Nation-One Election: गुरुवार, 12 दिसंबर को ‘एक देश-एक चुनाव’ यानी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (One Nation-One Election) को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) की मंजूरी मिल गई है. केंद्रीय कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी है. अब इस विधेयक को मोदी सरकार (Modi Government) संसद में अगले हफ्ते पेश कर सकती है. अगला हफ्ता शीतकालीन सत्र (Winter Session) का आखिरी हफ्ता है. सरकार सत्र के आखिरी हफ्ते में इस विधेयक को सदन में पेश कर इसे पारित करवाने की फिराक में है.
वहीं, सरकार इस विधेयक को जेपीसी में भेज सकती है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के सुझाव भी लिए जाएंगे. अब सवाल यह बनता है कि अगर यह विधेयक सदन से पारित हो जाता है तो सरकार और इलेक्शन कमीशन को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा ? एक सवाल यह भी है कि यह देश में कब लागू होगा, जिसके बाद लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कब होंगे?
देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक कमिटी की रिपोर्ट में एक नया प्रावधान, अनुच्छेद 82A(1) शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में एक तारीख अधिसूचित करेंगे. इतना ही नहीं इसमें अनुच्छेद 82A (2) शामिल करने का भी प्रस्ताव किया गया है.
क्या होंगी चुनौतियां ?
भारत में राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ अगर लागू हो जाता है तो पूरे देश में लोकसभा, विधानसभाओं और निकाय के चुनाव एक साथ ही होंगे. मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे. एक ही दिन स्थानीय निकाय के चुनाव भी आयोजित किए जाएं.
सूत्रों का कहना है कि यह अनुमानित टाइम टेबल, निर्वाचन आयोग के लिए भी बेहतर होगा, क्योंकि उस पर पूरे देश में फ्री-एंड फेयर इलेक्शन कराने की जिम्मेदारी होगी. चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक सहमति बनाना और संसद में विधेयक पारित करवाना तो बस शुरुआत है.
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर ECI के अधिकारी ने कहा कि असली काम विधेयक लागू होने के बाद शुरू होगा. विधानसभा और लोकसभा के लिए एक साथ मतदान की सुविधा के लिए आयोग को नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी EVM के लिए ऑर्डर देने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए काफी समय की आवश्यकता होती है.
ECI को लगेगा समय
ECI अधिकारी के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक EVM की संख्या को दोगुना करने के लिए चुनाव आयोग को आदर्श रूप से ढाई से तीन साल की आवश्यकता होगी. सिर्फ EVM की चिप और अन्य सामग्रियों की खरीद में ही 7 से 8 महीने लगेंगे. ECIL और BIL जैसी कंपनियां एक साथ इतनी संख्या में प्रोडक्शन नहीं कर सकते हैं. इसलिए वास्तविक रूप से, हम तीन साल तक का समय देख रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भले ही सरकार आम सहमति बना ले और 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक विधेयक पारित करवा ले, लेकिन आयोग के पास 2029 में इसके तहत चुनाव कराना बेहद मुश्किल होगा. क्योंकि जल्दबाजी में व्यवस्था करने में बड़ी गलतियां भी हो सकती हैं.
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कब से होंगे साथ चुनाव ?
‘एक देश-एक चुनाव’ के लागू होने के बाद एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कब होंगे. इसको लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अगर केंद्र सरकार द्वारा पारित ये विधेयक संसद में बिना किसी बदलाव के पारित हो जाते हैं. अनुमान यह लगाया जा रहा है कि 2034 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो सकते हैं.
तय होगी तारीख
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर विधेयक बिना संशोधन के पारित हो जाते हैं, तो “नियत तिथि” 2029 में निर्वाचित होने वाली लोकसभा की पहली बैठक के दौरान ही अधिसूचित की जाएगी. इसकी वजह यह है कि इस साल निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक पहले ही बीत चुकी है और अगली लोकसभा का पूरा कार्यकाल 2034 तक होगा.