Periodic Labour Force Survey: नौकरी और खुद का काम इन दोनों में सबसे बेहतर कौन? आज के समय में इस बात की चर्चा खूब हो रही है. आमतौर पर नौकरी करने वाले लोगों का मानना है कि अपना खुद का काम ज्यादा फायदेमंद है. इसके पिछे उनका तर्क यह होता है कि खुद के काम में अपनी मर्जी से काम कर सकते हैं, जहां कोई बंधन नहीं होता और कमाई भी अधिक हो सकती है. लेकिन किया यह सच है? क्योंकि आंकड़े तो इस तर्क को खारिज करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि खुद के काम से ज्यादा कमाई नौकरी करने में है.
इतना ही नहीं, नौकरी करके आप सालना जो ग्रोथ कर सकते हैं, वो खुद के काम में नहीं है. दरअसल, हाल ही में पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट आई है. इस सर्वे में जुलाई 2023 से जून 2024 तक के आंकड़े हैं. सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश में नौकरीपेशा हर व्यक्ति हर हफ्ते औसतन 48.2 घंटे काम करता है. जबकि, उसकी महीने की औसत कमाई 21,103 रुपये है. अच्छी बात ये है कि पिछले साल की तुलना में काम की घंटों में थोड़ी कमी भी आई है और कमाई भी बढ़ी है.
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5 प्रतिशत तक बढ़ी नौकरी करने वालों की कमाई
एक साल पहले तक हर व्यक्ति हफ्ते में औसतन 49.1 घंटे काम करता था और उसकी महीनेभर की कमाई 20,039 रुपये थी. यानी कि अब व्यक्ति के एक घंटे कम काम कर रहा है और उसकी कमाई 5% तक बढ़ गई है. PLFS की रिपोर्ट से पता चलता है कि अगर आप नौकरी कर रहे हैं तो महीने में औसतन 21 हजार रुपये से ज्यादा कमा लेंगे. लेकिन इसकी बजाय अगर आप खुद का कुछ काम कर रहे हैं तो महीने में 14 हजार तक की कमाई भी नहीं होती.
रिपोर्ट बताती है कि खुद का काम करने वालों की महीने की औसतन कमाई 13,900 रुपये है. एक साल पहले तक 13,347 रुपये थी. यानी, एक साल में खुद का काम करने वालों की कमाई 4% तक ही बढ़ी है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कमाई कम
हालांकि, इस रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि अगर आप पुरुष हैं तो आपकी कमाई महिलाओं की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ेगी. नौकरी करने वाले पुरुषों की महीने की औसत कमाई लगभग 6.5% बढ़ी है. इनके मुकाबले महिलाओं की कमाई 1% भी नहीं बढ़ी. इतना ही नहीं, नौकरीपेशा पुरुषों और महिलाओं की कमाई में लगभग पांच हजार का फर्क भी है. यही बात खुद का काम करने वाली महिलाओं पर भी लागू होती है. खुद का काम करने वाली महिलाएं हर महीने पुरुषों की तुलना में 10 हजार कम कमा पाती हैं.
इसी तरह, मजदूरों को मिलने वाली दिहाड़ी सालभर में लगभग 7.5% बढ़ी है. अप्रैल से जून 2023 के मजदूरों को हर दिन औसतन 403 रुपये की दिहाड़ी मिलती थी. जबकि, अप्रैल से जून 2024 के बीच 433 रुपये की दिहाड़ी मिली.