New Criminal Laws: आज 3 दिसंबर को पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चंडीगढ़ दौरे पर रहेंगे. पीएम और शाह का यह दौरा देश में इसी साल लागू हुए तीन नए कानूनों को लेकर है. वह आज दोपहर 12 बजे पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) में 3 नए क्रिमिनल कानूनों की समीक्षा करेंगे.
इस दौरान पंजाब और हरियाणा की पुलिस हाई अलेर्ट पर है. पीएम मोदी के दौरे को देखते हुए चंडीगढ़ को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर दिया गया है. पीएम के होने वाले इस समीक्षा दौरे का थीम ‘सुरक्षित समाज, विकसित भारत- सजा से न्याय तक’ शीर्षक दिया गया है. वह तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) की समीक्षा करेंगे और उन्हें देश को समर्पित करेंगे.
पीएम मोदी के इस समीक्षा कार्यक्रम को लेकर चंडीगढ़ में पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर को रेडी किया गया है. पुलिस पीएम के सामने सीन क्रिएट कर दिखाएगी कि कैसे 3 नए कानून की मदद से पुलिस केस को सुलझाने और आरोपियों को सजा दिलाने में कितनी मददगार होगी.
आसान भाषा में जानिए नए कानून के बारे में
इसी साल 1 जुलाई से देश भर में 3 नए क्रिमिनल कानूनों को लागू कर दिया गया है. देश में आईपीसी (IPC), सीआरपीसी (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय (BSA) ने ले लिया है. इसके तहत अब प्राथमिकी (FRI) से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है.
- नए कानून में तय समय सीमा में एफआईआर (FRI) दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर FIR दर्ज करनी पड़ेगी.
- दुष्कर्म मामले में सात दिन के अंदर पीड़िता की मॉडिकल रिपोर्ट पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजी जाएगी. इससे पहले सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी.
- नए कानून के तहत अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है. मजिस्ट्रेट 14 दिन के अंदर केस का संज्ञान लेंगे. केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई उपाय भी किए गए हैं.
- लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है, लेकिन इससे ज्यादा नहीं. सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के अंदर दया याचिका दाखिल करनी होगी.
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3 नए कानून के ये हैं बड़े बदलाव
- इंडियन पीनल कोड (IPC)1860 की जगह ली भारतीय न्याय संहिता 2023.
- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) 1973 की जगह ली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023.
- इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023.
नए कानून की मुख्य पॉइंटर
- पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया.
- राजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध.
- मॉब लिंचिंग सेल में आजीवन कारावास या मौत की सजा.
- पीडि़त कहीं भी दर्ज करा सकेंगे एफआईआर.
- राज्य को एकतरफा केस वापस लेने का अधिकार नहीं.
- FIR, केस डायरी, चार्जशीट, जजमेंट होंगे डिजिटल.
- तलाशी और जब्ती में आडियो-वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य.
- गवाह के लिए ऑडियो-वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प.
- सात साल या उससे अधिक सजा के अपराध में फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाना अनिवार्य.
- छोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए समरी ट्रायल का प्रावधान.
- पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत.
- भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त.
- इलेक्ट्रानिक डिजिटल रिकार्ड माने जाएंगे साक्ष्य.
- भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में भी चलेगा मुकदमा.