Gangster Sundar Bhati: ग्रेटर नोएडा के पास एक छोटा सा गांव, गंगोला, अपने बेतरतीब रास्तों और चहल-पहल से भरा हुआ था. यहां की गलियों में बसने वाले लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त थे, लेकिन कुछ काले साए भी थे, जो इस गांव के नाम को स्याह बना रहे थे. इनमें से एक था सुंदर भाटी, जो अब फिर से चर्चा में है. हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट से सुंदर भाटी (Sundar Bhati) को जमानत मिली है. इसके साथ ही उड़ गई है पुलिस की नींद.
सुंदर भाटी का खूनी अतीत
सुंदर भाटी का नाम कभी न खत्म होने वाले अपराधों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर है. उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से कुछ तो ऐसे हैं, जो सुनकर रूह कांप उठती हैं. उसके नाम का जिक्र होते ही लोगों के मन में डर और आशंका भर जाती है. अतीक अहमद की हत्या में भी उसका नाम जुड़ा था.जब तीन शूटरों ने अतीक और उसके भाई अशरफ को गोलियों से भून दिया, तब यह बात सामने आई थी कि उनमें से एक शूटर के साथ सुंदर भाटी हमीरपुर जेल में बंद था.
दोस्ती और दुश्मनी
सुंदर की दोस्ती का जाल भी बड़ा खतरनाक माना जाता है. दावा किया जाता है कि लॉरेंस बिश्नोई उसका करीबी दोस्त है. लेकिन यह भी सच है कि इस दोस्ती के कारण कई दुश्मन भी बने. सुंदर भाटी और नरेश भाटी के बीच की दोस्ती भी एक समय बहुत गहरी थी. लेकिन, जब पावर और सत्ता की चाह ने दोनों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया, तो यह दोस्ती दुश्मनी में बदल गई.
हरेंद्र नागर हत्याकांड
2015 में ग्रेटर नोएडा के दादूपुर गांव में हरेंद्र प्रधान की हत्या कर दी गई. ग्राम प्रधान की हत्या की योजना सुंदर भाटी के गुर्गों ने बनाई थी. उस रात हरेंद्र एक शादी समारोह में गए थे, जहां उन्हें और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा को गोलियों से भून दिया गया. इस हत्याकांड ने सुंदर भाटी के आतंक को क्षेत्र में खूब बढ़ाया. इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अब वह जेल से बाहर आ चुका है. पुलिस को इस बात की चिंता है कि कहीं वह फिर से अपनी पुरानी करतूतें न शुरू कर दे.
रिहाई के बाद की हलचल
सुंदर भाटी की रिहाई के बाद पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई. उसके खिलाफ जांच और निगरानी का काम तेज हो गया. सूत्रों के मुताबिक, वह दिल्ली के मयूर विहार में रह रहा है और अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में जुटा है. पुलिस और इंटेलिजेंस इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि कहीं वह अपने दुश्मनों से बदला लेने की योजना न बना रहा हो.
स्क्रैप कारोबार की जंग
जेल में रहते हुए सुंदर भाटी ने अपने पुराने धंधे, यानी स्क्रैप कारोबार पर ध्यान केंद्रित किया. वह जानता था कि यह धंधा उसकी शक्ति को फिर से बढ़ाने में मदद करेगा. उसके प्रतिद्वंद्वी रवि काना, जो हरेंद्र नागर का भाई था, पहले से ही इस धंधे पर कब्जा कर चुका था. पुलिस ने रवि काना को गिरफ्तार कर लिया, जिससे सुंदर भाटी की योजना में रुकावट आई. लेकिन, सुंदर ने हार नहीं मानी. उसकी नजर फिर से उस धंधे पर थी, जो उसकी पहचान थी.
गैंगस्टर की जिंदगानी
सुंदर भाटी का नाम 90 के दशक से अपराध की दुनिया में गूंजता रहा है. वह कभी गाजियाबाद के कुख्यात सतवीर गुर्जर का दाहिना हाथ हुआ करता था. तब से लेकर अब तक, उसने कई गुर्गों और संगठनों के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं. उसके पास अब लॉरेंस के अलावा कुख्यात बदमाशों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो उसे किसी भी समय मदद कर सकता है.
सुंदर भाटी की कहानी एक गैंगस्टर की कहानी है, जो सिर्फ अपराधों में नहीं, बल्कि दोस्ती और दुश्मनी के जाल में भी उलझा हुआ है. उसकी हरकतें इस बात का सबूत हैं कि समाज में अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती. जैसे-जैसे सुंदर भाटी अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू करता है, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां उसकी निगरानी में जुटी हैं, ताकि वह फिर से अपराध की दुनिया में पैर न जमा सके. इस कहानी में सुंदर भाटी केवल एक नाम नहीं है; यह उस अंधेरी दुनिया का सिंबल है, जहां हर कदम पर खतरा है.