तेज प्रताप के ट्वीट से गरमाई सियासत, क्या बिहार चुनाव में RJD को मिलेगा ‘डबल डेंट’?

Bihar Election 2025: तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए तीखा हमला बोला है. जिससे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले RJD की रणनीति और एकता पर सवाल उठ रहे हैं.
Tej Pratap Yadav

तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अपनी चुप्पी तोड़r

Bihar Election 2025: बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव के हालिया ट्वीट ने हलचल मचा दी है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से निष्कासित होने के बाद तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए तीखा हमला बोला है. जिससे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले RJD की रणनीति और एकता पर सवाल उठ रहे हैं. क्या यह ट्वीट RJD को ‘डबल डेंट’ देगा, यानी पार्टी और परिवार दोनों को नुकसान पहुंचाएगा?

तेज प्रताप का ट्वीट: क्या है माजरा?

तेज प्रताप यादव, जो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे हैं, उन्होंने 19 जून को एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा- ‘मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी समझने की भूल करने वालो, ये मत समझना कि मुझे तुम्हारी साजिशों का पता नहीं, शुरुआत तुमने किया है अंत मैं करूंगा.’ इस ट्वीट में उन्होंने खुद को ‘चक्रव्यूह तोड़ने वाला’ बताया और कहा कि उनकी भूमिका अब जनता और सुप्रीम कोर्ट तय करेगा, न कि परिवार या पार्टी. इस बयान ने RJD के भीतर और बाहर सियासी हलचल मचा दी है.

क्यों अहम है यह ट्वीट?

पार्टी से निष्कासन: तेज प्रताप को 26 मई को इसी साल लालू यादव ने RJD और परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. कारण था उनकी अनुष्का यादव के साथ तस्वीरें-वीडियो.

चुनावी समय: बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने हैं. ऐसे में तेज प्रताप का बागी तेवर RJD की एकता को प्रभावित कर सकता है.

संदेश: तेज प्रताप ने ‘साजिश’ और ‘चक्रव्यूह’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर पार्टी के भीतर असंतोष और गुटबाजी की ओर इशारा किया है.

RJD की रणनीति और तेजस्वी का नेतृत्व

RJD सुप्रीमो लालू यादव ने हाल ही में अपनी राज्य परिषद की बैठक में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया है. लालू यादव ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे नीतीश कुमार और NDA को हराकर तेजस्वी को CM बनाएं. तेजस्वी ने भी ‘2005 से 2025, बहुत हुआ नीतीश’ का नारा देकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा.

तेजस्वी की रणनीति

बिहार चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव काफी ज्यादा सक्रीय हैं. RJD पिछड़े वर्गों को एकजुट करने और रोजगार, शिक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दे रही है. तेजस्वी ने कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के साथ नजदीकियां बढ़ाई हैं, लेकिन JMM जैसे सहयोगी अलग राह चुन सकते हैं. तेजस्वी ने खुद को मजबूत करने के लिए ‘डिजिटल फोर्स’ पोर्टल लॉन्च किया, जिससे युवा और कार्यकर्ता पार्टी से जुड़ सकें.

इसी बीच तेज प्रताप का ट्वीट RJD की इस एकजुटता को तोड़ सकता है, क्योंकि उनके समर्थक अब भी उनके साथ हैं. तेज प्रताप अगर बाफ़ी होते हैं तो पार्टी और परिवार पर असर पड़ेगा. तेज प्रताप का बागी रुख RJD को दो मोर्चों पर नुकसान पहुंचा सकता है.

पार्टी पर प्रभाव

गुटबाजी की आशंका: तेज प्रताप के ट्वीट से RJD में गुटबाजी बढ़ सकती है. सीतामढ़ी में हाल ही में जिला अध्यक्ष चुनाव के दौरान RJD कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की घटना इसका उदाहरण है.

चुनावी नुकसान: तेज प्रताप के समर्थक अगर बागी उम्मीदवार के रूप में उतरते हैं, तो RJD की सीटें प्रभावित हो सकती हैं. JDU के मंत्री अशोक चौधरी ने दावा किया है कि RJD 25 सीटों पर सिमट जाएगी.

विश्वसनीयता पर सवाल: तेज प्रताप का सुप्रीम कोर्ट का जिक्र और ‘साजिश’ का आरोप RJD के नेतृत्व पर सवाल उठा सकता है.

परिवार पर प्रभाव

लालू परिवार में तनाव: तेज प्रताप को परिवार से भी निष्कासित किया गया है. राबड़ी देवी ने हाल ही में कहा कि ‘तेजस्वी जो कहेंगे, वही होगा,’ जिससे परिवार में तेजस्वी का दबदबा साफ है.

तेज प्रताप का अलग रास्ता: तेज प्रताप ने पहले भी तेजस्वी को ‘अर्जुन’ और खुद को ‘कृष्ण’ बताकर अपनी अहमियत जताई थी. उनके इस ट्वीट से परिवार में दरार और गहरी हो सकती है.

बिहार चुनाव में RJD की चुनौतियां

बिहार विधानसभा चुनाव में RJD के सामने कई चुनौतियां हैं. नीतीश कुमार और BJP की डबल इंजन सरकार उपलब्धियां गिना रही है. तेजस्वी ने नीतीश पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगाया है. साथ ही साथ सीएम नीतीश के खराब स्वास्थ्य का जिक्र करते हैं. मगर NDA की रणनीति मजबूत है.

इधर, महागठबंधन के बीच सीट को लेकर बात नहीं बन पा रही है. JMM और कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर मतभेद उभर सकते हैं. वहीं, तेज प्रताप का बागी तेवर भी RJD को चुनाव में डेंट पहुंचाने का काम कर दिया है. निर्दलीय या किसी अन्य दल के साथ चुनाव लड़ते हैं, तो RJD को काफी नुकसान हो सकता है.

क्या कर सकते हैं तेज प्रताप?

तेज प्रताप के ट्वीट को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि वे अपनी लोकप्रियता और समर्थकों के दम पर निर्दलीय उम्मीदवार बन सकते हैं. तेज प्रताप किसी नई पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार उतार सकते हैं. इससे भले वो चुनाव न जीते, मगर वो RJD का वोट जरूर काटेंगे. एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि तेज प्रताप का धमकी भरा ट्वीट केवल गिदडभबकी है. क्योंकि चुनाव के समय तेजस्वी को जीतवाने के लिए लालू यादव तेज प्रताप को माफ़ कर सकते हैं.

बिहार चुनाव में अगर तेज प्रताप RJD के खिलाफ हो जाते हैं तो असल डेंट JDU देगी. क्योंकि JDU तेज प्रताप को चुनाव में उनके उम्मीदवार को पीछे से सपोर्ट कर RJD को कमजोर करने का काम कर सकती है.

वहीं, प्रशांत किशोर भी जन सूरज के साथ बिहार चुनाव में उतर रहे हैं. इसे लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि PK भी RJD को बड़ा चोट पहुंचाने का काम करेंगे. पिछले 3 सालों में PK ने RJD और तेजस्वी यादव को लेकर कई बड़े बयान दिए हैं. जो चुनाव में पार्टी और तेजस्वी के छवि को ख़राब करने का काम कर सकता है.

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RJD के लिए कितना बड़ा खतरा?

तेज प्रताप का ट्वीट निश्चित रूप से RJD के लिए एक चुनौती है, लेकिन इसका प्रभाव सीमित भी हो सकता है. अगर तेज प्रताप अपनी बात को जनता तक ले जा पाए और समर्थकों को एकजुट कर पाए, तो RJD को ‘डबल डेंट’ का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, तेजस्वी की लोकप्रियता और लालू की रणनीति अभी भी RJD को मजबूत बनाए रख सकती है. दूसरी ओर, NDA इस मौके का फायदा उठाकर RJD को कमजोर करने की कोशिश करेगा. बिहार की जनता और सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस सियासी ड्रामे का अगला अध्याय लिखेगा.

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