तेजस्वी की पॉलिटिक्स को ‘डेंट’ पहुंचाएंगे प्रशांत किशोर? बार-बार लालू के लाल पर हमला बोलने की PK ने बनाई नई रणनीति

तेजस्वी यादव को लेकर PK की रणनीति
Bihar Elections 2025: बिहार की सियासत में इन दिनों प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बीच तीखी बयानबाजी सुर्खियों में है. जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बार-बार तेजस्वी यादव को निशाना बना रहे हैं. जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसके पीछे उनकी मंशा क्या है? कहीं ये बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा तो नहीं…?
तेजस्वी पर प्रशांत किशोर के हमले
प्रशांत किशोर ने हाल के महीनों में तेजस्वी यादव पर कई बार तीखे हमले बोले हैं. उन्होंने तेजस्वी की शैक्षणिक योग्यता, नेतृत्व क्षमता और उनकी पार्टी RJD की नीतियों पर सवाल उठाए हैं. प्रशांत ने तेजस्वी को ‘नौवीं फेल’ कहकर उनकी बौद्धिक क्षमता पर सवाल उठाए और दावा किया कि वे ‘समाजवाद’ जैसे विषय पर बिना कागज देखे पांच मिनट भी नहीं बोल सकते हैं.
इतना ही नहीं प्रशांत ने तेजस्वी को उनके पिता लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में काम करने वाला नेता बताया, जिनकी पहचान केवल ‘लालू के बेटे’ के रूप में है. प्रशांत ने तेजस्वी को खुली चुनौती दी है कि वे रामगढ़ या राघोपुर जैसे विधानसभा क्षेत्रों से उनके खिलाफ चुनाव लड़ें.
प्रशांत के तेजस्वी पर बार-बार हमला बोलने को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स इसे PK की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं. ये तेजस्वी को व्यक्तिगत और राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है. तेजस्वी, जो RJD के युवा चेहरा और बिहार में विपक्ष के नेता हैं, प्रशांत की जन सुराज पार्टी के लिए एक बड़ा खतरा हो सकते हैं.
PK की बिहार बदलाव यात्रा
प्रशांत किशोर अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत बिहार के विभिन्न हिस्सों में जनसभाएं कर रहे हैं. इस दौरान वे न केवल तेजस्वी, बल्कि नीतीश कुमार और केंद्र की मोदी सरकार पर भी हमलावर हैं. प्रशांत अपनी जन सुराज पार्टी को बिहार में एक वैकल्पिक शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. तेजस्वी और RJD को निशाना बनाकर वे बिहार की जनता, खासकर युवाओं और पिछड़े वर्गों को यह संदेश देना चाहते हैं कि RJD का नेतृत्व अक्षम और पुरानी सोच वाला है.
प्रशांत ने लालू यादव पर भी तंज कसते हुए कहा कि उनकी राजनीति केवल परिवार और जातिवाद पर आधारित है. हाल ही में लालू के एक वीडियो, जिसमें वे कथित तौर पर बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान करते दिखे, को लेकर भी प्रशांत ने तेजस्वी और RJD को घेरा है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि तेजस्वी को बार-बार निशाना बनाकर प्रशांत बिहार की जनता में यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि जन सुराज ही एकमात्र ‘ईमानदार और नया विकल्प’ है.
पुरानी रंजिश या नई रणनीति?
प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के बीच तल्खी नई नहीं है. प्रशांत पहले RJD के साथ काम कर चुके हैं, जब उन्होंने 2015 में नीतीश कुमार और लालू यादव के महागठबंधन की रणनीति बनाई थी. हालांकि, बाद में उनके रिश्ते खराब हो गए.
प्रशांत ने तेजस्वी को ‘अज्ञानी’ और ‘पानी पिलाने वाला’ तक कहा है, जिससे दोनों के बीच व्यक्तिगत तल्खी साफ झलकती है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रशांत तेजस्वी को निशाना बनाकर RJD के वोट बैंक, खासकर युवा और पिछड़े वर्गों, को अपनी ओर खींचना चाहते हैं.
हालांकि तेजस्वी उनका प्राथमिक निशाना हैं, प्रशांत ने नीतीश कुमार को ‘मानसिक रूप से बीमार’ और मोदी सरकार को ‘बिहार को मजदूरों का प्रदेश बनाने वाला’ करार दिया है.
प्रशांत के इन बयानों को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि PK की रणनीति केवल तेजस्वी तक सीमित नहीं है. वे बिहार की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को चुनौती देना चाहते हैं, जिसमें RJD, JDU और BJP शामिल हैं. तेजस्वी पर बार-बार हमला उनकी युवा छवि और RJD के मजबूत वोट बैंक को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
तेजस्वी का PK को जवाब
तेजस्वी यादव ने भी प्रशांत किशोर के हमलों का जवाब देने में देरी नहीं कर रहे हैं. उन्होंने प्रशांत को ‘बरसाती मेंढक’ कहा और उनकी आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि जन सुराज का कोई जनाधार नहीं है. तेजस्वी ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और परिवारवाद जैसे मुद्दों पर नीतीश सरकार और केंद्र की BJP सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई है.
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तेजस्वी ने RJD का डिजिटल पोर्टल ‘चलिए, बिहार को बेहतर बनाएं’ लॉन्च किया, जिसके जरिए वे युवाओं और जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं. तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर ‘जमाई आयोग’ और ‘मेहरारू आयोग’ जैसे तंज कसकर यह दिखाने की कोशिश की कि NDA भी परिवारवाद में लिप्त है.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में हर तरफ से बयानबाजी तेज है. तेजस्वी और PK दोनों नेता अपनी-अपनी जमीन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स इसे लेकर यह कहते हैं कि प्रशांत का तेजस्वी पर हमला उनकी पार्टी को चर्चा में रखने और जनता के बीच नया विकल्प पेश करने की रणनीति का हिस्सा है.