महाराष्ट्र में CJI का अपमान! गवई की यात्रा में टूटा प्रोटोकॉल, DGP-मुख्य सचिव पर उठे सवाल

CJI BR Gavai: हाल ही में देश के 52वें CJI बने जस्टिस बीआर गवई पहली बार महाराष्ट्र दौरे पर गए, लेकिन वहां उनके स्वागत में प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ.
Justice BR Gavai

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के मुख्य न्यायाधीश

CJI BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई, हाल ही में देश के 52वें CJI बने हैं. CJI बनने के बाद गवई पहली बार महाराष्ट्र दौरे पर गए, लेकिन वहां उनके स्वागत में प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ. रविवार, 18 मई को CJI बनने के बाद गवई पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के दौरे पर मुंबई पहुंचे. इस दौरान महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में उनकी अगवानी के लिए राज्य के प्रमुख अधिकारी- मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, पुलिस महानिदेशक (DGP) रश्मि शुक्ला, और मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती नहीं पहुंचे.

‘एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए’- CJI

CJI गवई ने इस प्रोटोकॉल उल्लंघन पर सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जताई है. समारोह में बोलते हुए CJI गवई ने कहा- ‘लोकतंत्र के तीनों स्तंभ- न्यायपालिका, विधायिका, और कार्यपालिका समान हैं. उन्हें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. जब मैं, महाराष्ट्र का एक व्यक्ति, पहली बार CJI के रूप में अपने राज्य आया, और मुख्य सचिव, DGP, या पुलिस आयुक्त मुझे रिसीव करने नहीं आए, तो यह सोचने वाली बात है कि क्या यह उचित था.’ उन्होंने हल्के अंदाज में यह भी कहा- ‘अगर मेरी जगह कोई और होता, तो शायद संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर लिया जाता.’

अन्य राज्यों के अधिकारीयों ने किया स्वागत

बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को पूर्ण न्याय के लिए आवश्यक आदेश देने की शक्ति प्रदान करता है. CJI ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत रूप से ऐसी छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहते, लेकिन यह मुद्दा संवैधानिक संस्थाओं के बीच आपसी सम्मान का है. उन्होंने अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि नागालैंड, मणिपुर, असम, और झारखंड जैसे राज्यों में उनकी यात्रा के दौरान वरिष्ठ अधिकारी हमेशा मौजूद रहे.

CJI की नाराजगी पर अधिकारियों कार्रवाई

CJI की टिप्पणी के बाद स्थिति में बदलाव देखा गया. उनके अगले कार्यक्रम में, जब वे दादर में चैत्यभूमि पर डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे, तो मुख्य सचिव, DGP, और पुलिस आयुक्त सभी मौजूद रहे. माना जा रहा है कि CJI की नाराजगी की खबर के बाद अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की.

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जस्टिस गवई, जो देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI हैं, उन्होंने अपने भाषण में यह भी साझा किया कि वे अमरावती के एक साधारण स्कूल से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचे. उन्होंने अपने पिता, पूर्व राज्यपाल आरएस गवई, और परिवार के योगदान को याद किया. यह घटना न केवल प्रोटोकॉल के महत्व को दर्शाती है, बल्कि संवैधानिक पदों के सम्मान और प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है.

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