Russia-Ukraine War: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन के साथ रूस की संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं. पुतिन ने ईस्टर्न इकॉनोमिक फोरम में कहा कि हालांकि, हमारा प्रमुख उद्देश्य यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को कब्जे में लेना है. रूसी सेना धीरे-धीरे कुर्स्क से यूक्रेनी सेना को पीछे खदेड़ रही है.
बता दें कि पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में युद्धग्रस्त यूक्रेन और इससे पहले रूस का दौरा किया था. पीएम मोदी की ये दोनों यात्राएं काफी महत्वपूर्ण थीं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय थी.
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क्या मोदी के रूस दौरे से बढ़ी शांति वार्ता?
पीएम मोदी जुलाई महीने में रूस के दौरे पर गए थे. उनका यह दौरा नाटो समिट के बीच हुआ था. इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाते पीएम मोदी की तस्वीरें काफी चर्चा में रही थी. इस दौरान मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को याद दिलाया था कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता. इस दौरान पुतिन ने पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से भी सम्मानित किया था. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की उनके इस दौरे से नाराज थे और सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की थी.
हाल ही में पीएम मोदी ने किया था यूक्रेन का दौरा
प्रधानमंत्री मोदी रूस के बाद 23 अगस्त को यूक्रेन के दौरे पर गए थे. वह पोलैंड से ट्रेन के जरिए कीव पहुंचे थे. पीएम मोदी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ यूक्रेन नेशनल म्यूजियम पहुंचे थे. इस मुलाकात की कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हुई थीं, जिनमें दोनों नेताओं को भावुक होते देखा गया था. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन बिना समय गंवाए शांति की बात करें. उन्होंने कहा कि समाधान का रास्ता बातचीत से ही निकलता है, डायलॉग-डिप्लोमेसी से निकलता है. और हमें बिना समय गंवाए इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. जेलेंस्की से ये बात कहने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें इस मुसीबत से बाहर निकालने में मदद का भरोसा भी दिया था.
इस दौरान पीएम मोदी ने जेलेंस्की से कहा था कि कुछ समय पहले मैं राष्ट्रपति पुतिन से मिला था, तो मीडिया के सामने आंख में आंख मिलाकर उनसे कहा था कि ये युद्ध का समय नहीं है. मैं पिछले दिनों रूस में मुलाकात के लिए गया था. वहां पर मैंने साफ-साफ अपनी बात कही है कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में कहीं भी नहीं होता है.