Rahul Gandhi In USA: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं. राहुल गांधी का ये दौरा देश में लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. कांग्रेस नेता लगातार विदेश से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना भी साध रहे हैं, इसके साथ ही राहुल इलेक्शन कमीशन की निष्पक्षता पर भी सवाल उठा चुके हैं. विदेश में राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयानों पर देश में जोरदार सियासत चल रही है. बीजेपी लगातार कांग्रेस नेता पर पलटवार कर रही है.
इसी कड़ी में उपराष्ट्रपति भी लोकसभा में विपक्ष के नेता पर भड़क गए. हालांकि उन्होंने बिना राहुल गांधी का नाम लिए ही अपनी भड़ास निकल दी. दरअसल, अमेरिका दौरे पर गए राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर एक टिप्पणी की थी, उसी टिप्पणी को लेकर उपराष्ट्रपति ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, “अब कुछ लोग देश को बांटना चाहते हैं, यह घोर अज्ञानता है.”
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राष्ट्र के दुश्मनों का हिस्सा बन जाएं- उपराष्ट्रपति
गुरुवार को राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के तीसरे बैच के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोगों को पता ही नहीं है कि हमारा संविधान क्या कहता है. आरक्षण हमारे संविधान में अंतर्निहित है. यह सकारात्मक कार्रवाई के रूप में है, यह हमारे संविधन का एक जीवंत पहलू है. कुछ लोग देश से बाहर जाकर इसे हल्के में लेते हैं. उन्होंने कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का देश के दुश्मनों में शामिल होना अधिक निंदनीय और असहनीय है. वह इस बात से दुखी और परेशान हैं कि पद पर बैठे कुछ लोगों को राष्ट्रीय हित के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मुझे यकीन है कि आप जो देख रहे हैं उसे देखकर आपका खून खौल रहा होगा.”
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उन्होंने कहा कि आजादी के लिए लोगों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है. माताओं ने अपने बेटे खोए हैं. पत्नियों ने अपने पति खोए हैं. हम अपने राष्ट्रवाद का उपहास नहीं उड़ा सकते. देश के बाहर हर भारतीय को राष्ट्र का राजदूत बनना होगा. कितना दुखद है कि जो व्यक्ति एक संवैधानिक पद पर है, वह इसका ठीक उल्टा कर रहा है. इससे अधिक निंदनीय, घृणित और असहनीय कुछ नहीं हो सकता कि आप देश के दुश्मनों का हिस्सा बन जाएं.
“आजादी का मूल्य नहीं समझते”
राहुल गांधी के बयान पर गंभीर नाराज़गी जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ऐसे लोग आजादी का मूल्य नहीं समझते. वे नहीं समझते कि देश में पांच हजार साल पुरानी सभ्यता है. संविधान पवित्र है और इसे संस्थापकों ने तीन वर्षों की कड़ी मेहनत से तैयार किया था. संविधान सभा के सदस्यों की बैठक बिना किसी व्यवधान, व्यवधान, नारेबाजी और किसी पोस्टरबाजी होती थी. अब कुछ लोग देश को बांटना चाहते हैं. यह घोर अज्ञानता है. उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति अपने होश में यह दावा कैसे कर सकता है कि कोई व्यक्ति अपने ही देश में पूजा स्थल पर नहीं जा सकता?”