Ram Mandir Inauguration: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी लोगों को उनसे जुड़ी जानकारियों को जानने की इच्छा है. खास तौर पर प्रतिमा को बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज की बीते दिनों में खूब चर्चा हुई है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तिकार ने रामलला की प्रतिमा बनाने के संबंध में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि मैं खुद को पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति मान रहा हूं कि भगवान राम ने उन्हें इस काम के लिए मुझे चुना है.
अरुण योगीराज कहते हैं, ‘भगवान राम ने हर वक्त मेरा और मेरे परिवार का भला किया है, ये मुझे हमेश महसूस हुआ है. मुझे पूरा विश्वास है कि भगवान ने ही मुझे इस काम के लिए चुना है. मैंने कई रातों तक जगकर रामलला की मूर्ति पर बिल्कुल बारीकि से काम किया है, ऐसा मुझे लगा है. आज मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है. मैंने मूर्ति बनाने की कला अपने पिता से ही सीखा है. मूर्ति देखकर मुझे गर्व हो रहा है.’
परिवार से मिलना भी हो गया था मुश्किल
मूर्तिकार के परिवार ने पूरे कार्यक्रम को टीवी पर देखा. परिवार ने बताया, ‘योगीराज ने कई रात जगे रहे और रामलला की मूर्ति बनाने में पूरा ध्यान लगाए रखा. कुछ ऐसा भी दिन आए जब परिवार के लोगों के लिए उनसे बात करना भी मुश्किल हो गया था और वो परिवार से मिल भी नहीं पाते थे.’ वहीं मूर्तिकार ने बताया, ‘मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी है और निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर यहां आया हूं.’
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उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने परिवारिक परंपरा को बढ़ाने का फैसला किया है. मैसूरु से लौटकर आया हूं.’ दरअसल, अरुण योगीराज ने मैसूरु विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद एक निजी कंपनी में काम करना शुरू किया. बाद में उन्होंने प्राइवेट सेक्टर छोड़ दिया और परिवार के काम में हाथ बंटाने लगे. इससे पहले उन्होंने आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची मूर्ति बनाई थी. दिल्ली में कर्तव्य पथ पर इंडिया गेट के पास लगी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उन्होंने बनाई थी.