Ratan Tata Passes Away: भारत के उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया. रतन टाटा, न केवल टाटा समूह के मानद चेयरमैन थे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे. 86 वर्ष की आयु में 9 अक्टूबर 2024 को उनका निधन हो गया. उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया.:
एक महान उद्योगपति का सफर
रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को हुआ. उन्हें अपनी दादी से प्रेरणा मिली, जिन्होंने उन्हें हमेशा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एहसास कराया. टाटा समूह के चेयरमैन बनने के बाद, उन्होंने कंपनी को एक नई दिशा दी. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई.
टाटा समूह की विकास यात्रा
रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण उपक्रमों की स्थापना की. उन्होंने 1996 में टाटा सर्विसेज की स्थापना की, जो सूचना प्रौद्योगिकी में टाटा समूह की प्रमुख कंपनी बनी. 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने वैश्विक स्तर पर अपने नाम का डंका बजाया. रतन टाटा ने कई अन्य क्षेत्रों में भी कंपनी का विस्तार किया, जिसमें ऑटोमोबाइल, धातु, और उपभोक्ता सामान शामिल हैं.
मानवता के प्रति प्रतिबद्धता
रतन टाटा को उनकी विनम्रता और मानवीय मूल्यों के लिए याद किया जाएगा. वे हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील रहे. उनकी विचारधारा यह थी कि व्यापार केवल मुनाफा कमाने का साधन नहीं, बल्कि समाज के उत्थान का एक माध्यम होना चाहिए. उन्होंने कई चैरिटेबल ट्रस्ट स्थापित किए, जिनके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामुदायिक विकास पर काम किया गया.
पुरस्कार और सम्मान
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए, भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) जैसे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से नवाजा. वे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र रहे हैं, जैसे कि कैथेड्रल और जॉन कैनन स्कूल, बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल.
विरासत
रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत में एक नई परिभाषा स्थापित की. उनका मानवीय दृष्टिकोण और व्यवसाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी युवा उद्यमियों को प्रेरित करती है. उन्होंने यह साबित किया कि व्यवसाय की सफलता केवल आर्थिक मापदंडों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता पर भी निर्भर करती है.
आज हम सभी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, और उनके विचार और सिद्धांत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे. रतन टाटा, आपका योगदान और आपकी प्रेरणा सदैव हमारे साथ रहेगी.