Ratan Tata: मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने बुधवार देर रात करीब 11 बजे मुंबई के ब्रीच केंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. सभी देशवासी रतन टाटा को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. रतन टाटा को 7 अक्टूबर को भी ICU में भर्ती किए जाने की खबर सामने आई थी. हालांकि, उन्होंने अपने X पर पोस्ट करके इसका खंडन करते हुए कहा था कि वे ठीक हैं और रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं. रतन टाटा के पार्थिव शरीर को NCPA ग्राउंड से वर्ली श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया और कुछ देर बाद अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे.
मुंबई | आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए NCPA लॉन लाया गया रतन टाटा का पार्थिव शरीर.#RatanTataPassedAway #RatanTata #Mumbai #VistaarNews pic.twitter.com/eAi2ZMbOim
— Vistaar News (@VistaarNews) October 10, 2024
तिरंगे में लिपटे रतन टाटा के पार्थिव शरीर
इसके पहले,ल तिरंगे में लिपटे रतन टाटा के पार्थिव शरीर को नरीमन प्वॉइन्ट के NCPA ग्राउंड में लाया गया, जहां लोग 3.30 बजे तक उनके अंतिम दर्शन किए. मुंबई के NCPA ग्राउंड में रतन टाटा के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.
NCPA ग्राउंड में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी अपनी पत्नी नीता अंबानी के साथ रतन टाटा के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
मंगलम बिड़ला ने भी दी रतन टाटा को श्रद्धांजलि
आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने NCPA ग्राउंड पहुंचकर रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी और अंतिम दर्शन किए. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बेटी सुप्रीय सुले के साथ पहुंचकर रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी.
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रतन टाटा का जीवन
रतन टाटा एक मशहूर उद्योगपति के साथ-साथ एक बेहद ही दरियादिल इंसान थे. सभी तरह के देख-दिखावों को छोड़ कर वे अपने काम के लिए जाने जाते थे. 28 दिसंबर, 1937 को जन्मे रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला और 2012 तक चेयरमैन रहे. इस दौरान उन्होंने कई मील के पत्थर स्थापित किए. रतन टाटा की फिलॉसफी बिज़नेस के साथ-साथ सेवा की भी रही. टाटा ग्रुप के भीतर एक पारिवारिक वातावरण और कर्मचारी विशेष के प्रति उनकी चिंता ही प्राथमिकता के रूप में झलकती थी. जीवन में सादगी और दरियादिली का ही प्रभाव था कि उनके कर्मचारी से लेकर उपभोक्ता और कॉम्पटीटर भी उन्हें सम्मान देते थे.