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हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले टेंशन में बीजेपी-कांग्रेस, बागियों की संख्या ने बदला राजनीतिक ‘खेल’

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

Haryana Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा के कई बागी नेताओं ने निर्दलीय या छोटे दलों के टिकट पर नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस के 36 और भाजपा के 33 बागियों ने चुनावी परिदृश्य को नया मोड़ दिया है, जिससे दोनों प्रमुख पार्टियों की चिंता बढ़ गई है. हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. टिकट वितरण के दौरान उठे असंतोष के चलते, दोनों पार्टियों में बगावत की लहर चल रही है. अब हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से लगभग 30 सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय हो चुका है.

बागियों ने बदले समीकरण

भाजपा और कांग्रेस के नेता बागी उम्मीदवारों को मनाने में जुट गए हैं, लेकिन कई बागी अभी भी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. उनकी मौजूदगी से यह संभावना बढ़ गई है कि वोट बंट सकते हैं, जिससे हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आ सकता है. चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को सामने आएंगे.

प्रमुख बागियों की पहचान

भाजपा की तरफ से कुरक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल की मां, सावित्री जिंदल, स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. जिंदल परिवार हरियाणा के हिसार में एक प्रमुख राजनीतिक परिवार है, और सावित्री जिंदल की उम्मीदवारी भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकती है. कांग्रेस की तरफ से अंबाला कैंट क्षेत्र में भी बागी नेता मैदान में हैं. पूर्व मंत्री अनिल विज के खिलाफ परमल परी को खड़ा किया गया है, और निर्मल सिंह की बेटी, चित्रा सरवारा, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. चित्रा पहले भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुकी हैं और इस बार अधिक ताकतवर नजर आ रही हैं.

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विभिन्न क्षेत्रों में बागियों का प्रभाव

करनाल, फरीदाबाद, और जींद जैसे क्षेत्रों में बागियों का प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है. जींद में कांग्रेस के बागी प्रदीप गिल और भाजपा के बागी जसबीर देशवाल को किसी खास वोट मिलने की संभावना कम है. फरीदाबाद में असंतुष्ट भाजपा नेता दीपक डागर भी सत्ता पक्ष के लिए समस्याएं खड़ी कर सकते हैं.

कांग्रेस की चुनौतियां

कांग्रेस को 90 सीटों के लिए 2,556 आवेदन प्राप्त हुए थे, लेकिन पार्टी ने अपनी सूची जारी करने में देरी की ताकि बगावत को रोका जा सके. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बागियों के चलते वोटों में बंटवारा हो सकता है. भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य, बागियों को मनाने के लिए खुद मैदान में उतर चुके हैं.

कांग्रेस ने उन नेताओं को निष्कासित कर दिया है, जो पार्टी की आधिकारिक पसंद के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. यह कदम पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए उठाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए गंभीर है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बागियों की बढ़ती संख्या ने राजनीतिक माहौल को बदल दिया है. अब सभी की नजरें 8 अक्टूबर के चुनाव परिणामों पर टिकी हुई हैं, जो यह तय करेंगे कि हरियाणा की राजनीतिक दिशा क्या होगी.

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