Retail Inflation: रिटेल महंगाई को लेकर केंद्र सरकार ने आंकड़े जारी कर दिए हैं. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की ओर से बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई मई महीने में 12 महीनों के निचले स्तर यानी 4.75 प्रतिशत पर पहुंच गई है. पिछले महीने अप्रैल में यह 4.83 फीसदी पर आ गई थी. इस दौरान यह 11 महीने के सबसे कम लेवल पर थी. वहीं पिछले साल जून में यह 4.81 प्रतिशत थी. हालांकि अप्रैल में खाने-पीने की चीजों में महंगाई दर्ज की गई थी.
खान-पान की चीजे थोड़ी सस्ती हुई हैं- आंकड़े
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की ओर से जारी किए गए आंकड़े अब भारतीय रिजर्व बैंक की स्वीकार्य सीमा के अंतर्गत है, जो 2 से 6 फीसदी के अंतर्गत है. वहीं भारत सरकार की ओर से जारी खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक खान-पान की चीजों की महंगाई पर थोड़ा असर पड़ा है. खान-पान की चीजे थोड़ी सस्ती हुई हैं. आंकड़ों के मुताबिक मई में यह 8.75 से घटकर 8.62 फीसदी हो गई है. हालांकि, यह अभी भी पिछले साल मई महीने के 3.3 प्रतिशत से अधिक है. इसी के साथ ग्रामीण और शहरी इलाकों में भी महंगाई दर में कमी दर्ज की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.43 फीसदी से घटकर 5.28 और शहरी क्षेत्रों में यह 4.15 प्रतिशत हो गई है.
4% के लक्ष्य तक पहुंच जाएगी महंगाई दर
इसी के साथ जरूरी चीजों की महंगाई में भी कमी दर्ज की गई है. सब्जियों की महंगाई दर अप्रैल के मुकाबले 27.8 से घटकर 27.3% हो गई है. वहीं दाल 17.14% और अनाज पर महंगाई दर 8.69 प्रतिशत रही. ईंधन और बिजली की महंगाई दर में भी कमी हुई है. अप्रैल के मुकाबले यह -4.24 प्रतिशत से घटकर मई में -3.83 फीसदी हो गई. इसी तरह कपड़े-जूतों पर 2.74% और आवास पर 2.56 प्रतिशत रही है. इसी के साथ RBI ने उम्मीद जताई है कि महंगाई दर धीरे-धीरे अपने 4% के लक्ष्य तक पहुंच जाएगी. हालांकि, RBI यह भी चाहता है कि महंगाई के कम होने का सिलसिला जारी रहे.
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देश में कैसे बढ़ती-घटती है महंगाई?
बता दें कि महंगाई का सीधा संबंध सामान खरीदने की क्षमता से है और यह प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है. अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह अधिक सामान खरीदेंगे. ऐसे में ज्यादा सामान खरीदने से डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर कीमत बढ़ेगी. इस तरह बाजार में महंगाई बढ़ जाती है. बाजार में पैसों का अधिक बहाव या सामान की कमी महंगाई का मुख्य कारण बनता है. वहीं अगर लोगों की डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो इस मामले में महंगाई कम होगी. देश में करीब 300 वस्तुएं ऐसी हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर ही खुदरा महंगाई की दर तय होती है.