Bihar News: बिहार के आरजेडी विधायक फतेह बहादुर सिंह का हाल ही में मंदिर को लेकर दिया गया बयान विवादों में घिर गया है. रोहतास जिले के डेहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक फतेह बहादुर ने देवरिया गांव में एक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मंदिर अंधविश्वास, पाखंड और मूर्खता को बढ़ावा देते हैं, जबकि स्कूल तर्क, विज्ञान और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक होते हैं. उनके अनुसार, समाज के पास दो विकल्प हैं – या तो मंदिर का रास्ता अपनाएं, जो उन्हें अंधकार, पाखंड और मूर्खता की ओर ले जाएगा, या फिर स्कूल का रास्ता चुनें, जो ज्ञान, तर्कशीलता और विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा.
यह मेरी निजी राय नहीं है- फतेह बहादुर
फतेह बहादुर ने यह बयान सावित्रीबाई फुले के विचारों का हवाला देते हुए दिया, जिनका मानना था कि बच्चों को धार्मिक आडंबरों में उलझाने के बजाय उन्हें शिक्षा देनी चाहिए. विधायक ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय नहीं है, बल्कि वह सावित्रीबाई फुले के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं, जिन्होंने समाज में शिक्षा का महत्व बताया और धार्मिक पाखंड से दूर रहने की सलाह दी.
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आरजेडी विधायक ने हिंदू धर्मग्रंथों का भी किया जिक्र
आरजेडी विधायक ने हिंदू धर्मग्रंथों का भी जिक्र करते हुए कहा कि प्राचीन समय में बहुसंख्यक समाज को हिंदू नहीं माना गया. उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मणवाद को मानने वालों को ‘क्षत्रिय’ का दर्जा दिया गया, जो उनके सेवक थे, उन्हें ‘वैश्य’ माना गया, और जो उनकी बात नहीं माने, उन्हें ‘शूद्र’ के रूप में बांध दिया गया. इस बयान ने हिंदू धर्म और जातिवाद के मुद्दे पर भी बहस छेड़ दी है.
विधायक का यह बयान सामाजिक और धार्मिक संदर्भ में काफी संवेदनशील माना जा रहा है. कई लोगों का मानना है कि धार्मिक स्थलों का उद्देश्य लोगों को आत्मिक शांति और समाजिक सौहार्द का पाठ पढ़ाना है, जबकि स्कूल शिक्षा और विकास की दिशा में योगदान करते हैं.