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Sachin Khandelwal: कांवड़ लेकर निकला युवक खुद नहीं लौटा घर, लेकिन 5 लोगों को दे दी नई जिंदगी

Kawad Yatra

प्रतीकात्मक तस्वीर

Sachin Khandelwal: कई युवा कांवड़ियों की हुड़दंग को लेकर लोग आलोचना करते हैं, लेकिन यहां एक कांवड़िये की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं. इस कावंड़िये का नाम सचिन खंडेलवाल है. 25 साल का सचिन हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाला है. वह हरिद्वार से गंगा जल लाने के लिए जा रहा था, तभी रास्ते में रुड़की के पास एक कार ने उसे टक्कर मार दी. मौत को करीब आता देखकर सचिन ने एक ऐसा फैसला किया, जिसने 5 लोगों को नई जिंदगी दे दी. उनके इस कदम से लोग उन्हें देवता की संज्ञा दे रहे हैं.

सचिन घर से कांवड़ लेकर निकला था, लेकिन वह कभी वापस नहीं लौटेगा. भगवान शिव को जल चढ़ाने के बाद उसे वापस आना था, लेकिन इससे पहले ही वह हादसे का शिकार हो गया और उसकी मौत हो गई. हालांकि, सचिन ने दुनिया छोड़ने के बाद पांच लोगों की जिंदगी बदल दी और उन्हें नया जीवन दे दिया. यही पांच लोग सचिन को जिंदा रखेंगे और उसे हमेशा याद रखेंगे.

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सचिन ने पांच लोगों को दिया नया जीवन

कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार से गंगाजल लेने के लिए जाते समय रुड़की के पास एक कार की चपेट में आने से सचिन की मौत हो गई थी. सचिन ने अंगदान करके पांच लोगों की जिंदगी बचाई और उन्हें नई दिशा दी. सचिन खंडेलवाल का 22 जुलाई को एक्सीडेंट हुआ था और उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने बताया कि वह कोमा में चला गया है. कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों से संपर्क करने के बाद सचिन के परिवार ने अंगदान के लिए हामी भर दी.

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ट्रांसफर हुए अंग

गुरुवार को देहरादून पुलिस ने अंगों के परिवहन में तेजी लाने के लिए एम्स ऋषिकेश से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे तक ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा प्रदान की. उनके गुर्दे, अग्न्याशय और यकृत को प्रत्यारोपण के लिए चंडीगढ़ के पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में ले जाया गया.

सचिन के कॉर्निया की बदौलत उत्तराखंड के दो मरीजों की शनिवार को दृष्टि वापस आ गई. यह एम्स ऋषिकेश में पहली शव अंगदान प्रक्रिया भी थी. एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ मीनू सिंह ने कहा, “हमने न केवल उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी में एक मील का पत्थर हासिल किया, बल्कि प्रशासनिक सहायता से जीवन बचाने में उल्लेखनीय क्षमता का भी प्रदर्शन किया.”

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