Sadhvi Pragya On Name Plate Row: पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में दुकानों के बाहर नेमप्लेट विवाद के बाद, अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी ऐसी ही खबरें सुनने को मिल रही हैं. इस तरह के मामले में अब भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भी एंट्री हो गयी है. रविवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए नाम लिखने की बात कही.
साध्वी प्रज्ञा ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘मेरा हर हिन्दू से आव्हान है कि अपनी दुकान, अपने-अपने प्रतिष्ठान पर अपना नाम अवश्य लिखें. अब जो लिखेगा वही हिन्दू और जो नाम न लिखे वह हिन्दू नहीं. नाम लिखने से आपको कोई नहीं रोक सकता क्योंकि देश आपका ही है. फिर सब समझदार हैं.’
ये भी पढ़ें- यूपी CM योगी की राह पर हिमंत बिस्वा सरमा, अब असम में भी ‘लव जिहाद’ पर उम्रकैद, सरकार लाने जा रही है कानून
कांग्रेस ने किया पलटवार
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है. अभिनव ने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी, उत्तराखंड और एमपी सरकारों को इस मामले में नोटिस दिए जाने के बाद भी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर इस तरह का बयान पोस्ट कर समाज में नफरत का माहौल बनाना चाहती हैं. कोर्ट को मामले में संज्ञान लेना चाहिए.’
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर लगा दी रोक
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट विवाद बढ़ने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इस दौरान कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कांवड़ रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को कहा गया था. कोर्ट ने कहा है कि दुकानदारों को अपना नाम या पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को बस खाने का प्रकार बताना होगा. दुकानदार दुकान पर शाकाहारी या फिर मांसाहारी, किस प्रकार का खाना बेच रहे हैं, बस यह बताना होगा.
मेरा हर हिन्दू से आव्हान है कि अपनी दुकान, अपने- अपने प्रतिष्ठान पर अपना नाम अवश्य लिखें अब जो लिखेगा वही हिन्दू और जो नाम न लिखे वह हिन्दू नहीं। नाम लिखने से आपको कोई नहीं रोक सकता क्यों कि देश आपका ही हैl फिर सब समझदार हैं l @RSSorg pic.twitter.com/7dfJuvgQ8f
— Sadhvi Pragya Singh Thakur (@sadhvipragyag) August 3, 2024
इस संबंध में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत ने ये भी कहा है कि अगर याचिकाकर्ता अन्य राज्यों को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं तो उन राज्यों को भी नोटिस जारी किया जाएगा. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई में कोर्ट ने पिछले फैसले को बरकरार रखा.