Sambhal Jama Masjid: संभल की मशहूर शाही जामा मस्जिद अब नए नाम से जानी जाएगी. जी हां, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसे ‘जुमा मस्जिद’ का नाम दे दिया है. जल्द ही मस्जिद के बाहर नीले रंग का एक चमचमाता बोर्ड भी लगेगा, जो इस ऐतिहासिक इमारत की नई पहचान सबके सामने लाएगा. लेकिन ये बदलाव इतना आसान नहीं रहा. इसके पीछे है एक लंबी कहानी, विवाद और कोर्ट की सुनवाई का सिलसिला.
मंदिर या मस्जिद?
पिछले साल नवंबर 2024 में संभल का ये ढांचा उस वक्त सुर्खियों में आया, जब हिंदू पक्ष ने दावा ठोक दिया कि ये शाही जामा मस्जिद असल में श्री हरिहर मंदिर है. मामला चंदौसी कोर्ट से शुरू हुआ और देखते ही देखते इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सर्वे के दौरान माहौल गर्म हो गया. भीड़ जमा हुई, पथराव हुआ, फायरिंग हुई और अफसोस की बात ये कि चार लोगों की जान चली गई. कई गाड़ियां भी आग के हवाले हो गईं. तब से ये जगह विवादों के घेरे में है.
ASI का फैसला
यह इमारत ASI संरक्षित है. नया बोर्ड तैयार है, जिसमें लिखा होगा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संरक्षित स्मारक, जुमा मस्जिद, संभल. ये बोर्ड अभी पास की पुलिस चौकी में रखा है, जो मस्जिद के ठीक बगल में बन रही है. नीला बोर्ड लगने का मतलब साफ है कि अब इसकी देखरेख ASI करेगा और आम लोगों को भी पता चल जाएगा कि ये कोई साधारण इमारत नहीं, बल्कि इतिहास का एक खास हिस्सा है.
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रंगाई-पुताई का आदेश
हाईकोर्ट ने हाल ही में मस्जिद की रंगाई-पुताई का आदेश दिया था. इसके बाद मस्जिद कमेटी ने बाहरी दीवारों को चमका दिया. लेकिन नाम बदलने का फैसला ASI का है, जो इसे औपचारिक रूप से ‘जुमा मस्जिद’ कहलवाना चाहता है. लोग अब इस बदलाव को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. कोई इसे इतिहास की सफाई कह रहा है, तो कोई विवाद का नया चैप्टर.
फिलहाल मामला कोर्ट में है. ASI का बोर्ड भले ही तैयार हो, लेकिन संभल की इस इमारत का सच क्या है? मंदिर या मस्जिद, ये सवाल अभी हवा में लटका हुआ है. तो क्या ये नया नाम पुराने विवाद को शांत कर देगा या फिर नई बहस छेड़ेगा? ये तो वक्त ही बताएगा.