Sandeshkhali Case: बांग्लादेश की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव का नाम 5 जनवरी से पहले शायद ही किसी ने सुना होगा. अब हर अखबार के पन्ने, टीवी चैनलों और वेबसाइटों पर संदेशखाली का नाम है. इसकी वजह है टीएमसी नेता शेख शाहजहां. शेख शाहजहां पर स्थानीय महिलाओं ने कई संगीन आरोप लगाए हैं, जिनमें बलात्कार, जबरन जमीनों पर कब्जा करना और अन्य अत्याचार शामिल है. हालांकि, अब कोर्ट के आदेश के बाद शाहजहां को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद शेख शाहजहां को 10 दिनों की रिमांड पर भेज दिया है. दूसरी ओर टीएमसी ने भी कार्रवाई करते हुए शाहजहां को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है.
बता दें कि पिछले डेढ़ महीने से शाहजहां को लेकर दुनियाभर की राजनीति भी हो रही है. आइये जानते हैं कि कौन है शेख शाहजहां, जिसे गिरफ्तार करने में बंगाल पुलिस के पसीने छूट गए. लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर यहां के लोग सीएम ममता बनर्जी से क्यों नाराज हैं?
बता दें कि महिलाओं का आरोप है कि ममता की पार्टी टीएमसी के नेता शेख शाहजहां ने उनका यौन उत्पीड़न किया और फिर जबरन जमीनों पर कब्जा कर लिया. महिलाओं ने पुलिस पर आरोपियों से मिलीभगत का भी आरोप लगाया है. पीड़ित महिलाओं के समर्थन में बीजेपी नेता भी सड़कों पर उतर आए हैं. संदेशखाली के मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है. बीजेपी और टीएमसी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी ने टीएमसी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया है. टीएमसी ने बीजेपी पर राजनीतिक फायदे के लिए विवाद भड़काने का आरोप लगाया है. इस विवाद के बीच अब शेख गिरफ्तार हो चुका है. पीड़ित महिलाओं का कहना है कि आरोपियों को ममता सरकार का संरक्षण प्राप्त है.
कौन है शेख शाहजहां?
बता दें कि 42 वर्षीय शाहजहां शेख को संदेशखाली इलाके में ‘भाई’ के नाम से जाना जाता है. शेख शुरुआत में संदेशखाली ब्लॉक में मछली पालन किया करता था. इसके बाद उसने ईंट भट्टों में श्रमिक के रूप में काम किया. चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा शाहजहां ने साल 2004 में ईंट भट्टों के यूनियन नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था. बाद में वह पश्चिम बंगाल में बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद अपनी उपस्थिति बनाए रखते हुए सीपीआई (एम) में शामिल हो गया.
अपने उग्र भाषण और संगठनात्मक कौशल के दम पर साल 2012 में शाहजहां ने टीएमसी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया. टीएमसी जॉइन करने के बाद शेख तत्कालीन टीएमसी राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रियो मलिक के नेतृत्व में काम किया. कहा जाता है कि जल्द ही शाहजहां मुकुल का करीबी सहयोगी भी बन गया. एक टीएमसी नेता के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया, “शेख का क्षेत्र में सम्मान और भय दोनों है. कुछ लोगों के लिए वह एक मसीहा हैं.वहीं अपने विरोधियों के लिए वह आतंक है. इलाके में उसकी छवि रॉबिन हुड की तरह है.
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अब तक क्यों नहीं हुई थी गिरफ्तारी?
टीएमसी नेता शेख शाहजहां उसके सहयोगी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपों के घेरे में हैं. हालांकि, अब शेख सहित उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पिछले महीने से पीड़ित महिलाएं टीएमसी नेता शेख शाहजहां पर शिकंजा कसना चाहती थी. हालांकि, कल तक संदेशखाली हिंसा का कथित मास्टरमाइंड फरार था. महिलाओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस जानबूझ कर उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है. वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ममता सरकार से संरक्षण प्राप्त शेख को मुस्लिम वोट बैंक बचाने के लिए गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है.
इन आरोपों के पीछे वजह भी है. दरअसल, 2019 में बांग्ला फिल्मों की एक एक्ट्रेस टीएमसी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. नुशरत जहां को बशीरहाट विधानसभा सीट से चुनाव जीताने में एक शख्स ने खूब मेहनत की थी. उसका नाम है शेख शाहजहां. वही शाहजहां जिसपर अभी कई गंभीर आरोप लगे हैं. बशीरहाट के मुस्लिम वोटर्स पर पकड़ रखने वाले शेख तृणमूल कांग्रेस का जिला परिषद सदस्य है. इतना ही नहीं उसकी पार्टी में अच्छी खासी दखल है. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि अपने वोट बैंक को बचाने के लिए ममता सरकार शाहजहां के खिलाफ एक्शन नहीं ले रही है. हालांकि, टीएमसी ने अब एक्शन लेते हुए शाहजहां को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है.