Sanjay Yadav Career: बिहार के साथ 15 राज्यों की करीब 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इसके लिए बिहार से कांग्रेस, जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. सबसे ज्यादा चर्चा का विषय आरजेडी के उम्मीदवार संजय यादव की है. आरजेडी के संजय यादव और मनोज झा गुरुवार को नामांकन करेंगे. लेकिन बिहार के छह उम्मीदवारों में सबसे रोचक नाम संजय यादव का ही बताया जा रहा है.
संजय यादव अभी पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बतौर पॉलिटिकल एजवाइजर काम करते हैं. मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले संजय यादव तेजस्वी यादव के साथ 2011 से काम कर रहे हैं. इन्हें राजद की कई रणनीतियों के पीछे की वजह माना जाता है. संजय यादव ने द हिंदू के साथ बात करते हुए कहा, ‘मुझे ये मौका देने के लिए लालू यादव और तेजस्वी यादव का बहुत-बहुत धन्यवाद. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं राज्यसभा जाऊंगा.’
2010 तक की प्राइवेट नौकरी
अक्सर लाइम लाइट से दूर रहने वाले 40 साल के संजय यादव लो प्रोफाइल में रहते हैं. लेकिन उन्हें बिहार के सामाजिक और राजनीति की जबरदस्त समझ है. उन्होंने बीते कुछ सालों में आरजेडी को सोशल मीडिया पर सक्रिय बनाने में काफी योगदान दिया है. आरजेडी के साथ काम करने से पहले संजय यादव दिल्ली में 2010 तक तीन मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर चुके हैं. इस दौरान उन्होंने अपना ज्यादातर समज राजनीति और सामाजिक समीकरणों को समझने में लगाया है.
संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ का नांगल सिरोही गांव रहने वाले हैं. उन्होंने भोपाल विश्वविद्यालय से M.Sc और इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली से एमबीए की डिग्री प्राप्त की है. जब तेजस्वी यादव दिल्ली डेयरडेविल के लिए आईपीएल में खेलते थे उसी वक्त इन दोनों की जान पहचान हुई है. संजय यादव की शादी सुनिष्ठा यादव के साथ हुई है और इन दोनों का एक 15 साल की बेटी है जिसका नाम मिराया है.
ओबीसी तबके को साधने का प्रयास
पार्टी के इस फैसले के पीछे यादव समुदाय के बीच एक संदेश देने का प्रयास किया गया है, जिस तबके से अभी बिहार में सबसे ज्यादा वोटर्स हैं. बीते दिनों आए जातीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 14.36 फीसदी के साथ यादव ओबीसी तबके में सबसे ज्यादा हैं. बिहार में ओबीसी की कुल आबादी करीब 27.13 फीसदी है. संजय यादव को राज्यसभा भेजकर पार्टी ने इसी तबके के वोटर्स को रिझाने के लिए संदेश दिया है.
लेकिन अब संजय यादव के आरजेडी और तेजस्वी यादव के साथ सफर की बात करें तो ये करीब 14 साल पुराना हो चुका है. उनका पार्टी की रणनीति बनाने में अहम रोल रहा है. बीते दिनों में जिस तरह बिहार में जिस तरह नौकरी के मुद्दे की चर्चा होते रही है. इसके पीछे संजय यादव की सोच बताई जा रही है. इसके अलावा ‘तेजस्वी तय है’, ‘तेजस्वी भव:’ नारे सहारे जिस तरह 2020 में आरजेडी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी उसमें भी उनका अहम योगदान बताया जाता है.
2015 में भी रहा अहम रोल
2015 के चुनाव के दौरान जब बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव की दोस्ती की चर्चा रही और फिर सरकार बनाने में रणनीतिकार प्रशांत किशोर को श्रेय दिया गया. लेकिन इस बीच 5 लोगों की सोशल मीडिया और इलेक्शन मैनेजमेंट टीम के साथ पूरे चुनाव में संजय यादव ने आरजेडी को दोबारा खड़ा करने में किंग मेकर की भूमिका निभाई.
तेजस्वी यादव के आक्रामक भाषणों की चर्चा इन दिनों राजनीतिक हलकों में काफी हो रही है. जानकार बताते हैं कि उनके भाषण का इनपुट भी संजय यादव ही जमा करते हैं. बीते 14 सालों में हर दिन संजय यादव ने पार्टी के साथ अपने को जोड़ा है और राजनीतिक पहचान को काफी मजबूत बनाया है. अब वह राज्यसभा से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करेंगे.