Manmohan Singh: देश के पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का गुरुवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. तबीयत खराब होने के बाद मनमोहन सिंह को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों की नींव रखने के लिए जाना जाता है. वहीं उन्होंने वैश्वीकरण और उदारीकरण को भी बढ़ावा देने का काम किया. मनमोहन सिंह एक तरफ आर्थिक सुधारों के लिए जाने गए तो दूसरी तरफ, उनकी आलोचना भी हुई.
पूव पीएम मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे संजय बारू ने 2014 में एक किताब लिखी, जिसका नाम ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ था. इस किताब ने भारत की सियासत में भूचाल ला दिया था और इसके बाद मनमोहन सिंह के पीएम बनने और उनके कार्यकाल को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी थीं. हालांकि, तब कांग्रेस ने इस किताब के खूब विरोध किया था.
2004 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी. इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की तरफ से सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई. तब ऐसी अटकलें थीं कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बन सकती हैं लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और मनमोहन सिंह के नाम को आगे कर दिया.
मनमोहन सिंह को ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ करार दिया
संजय बारू ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में किया और मनमोहन सिंह को ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ करार दिया. इसका कांग्रेस ने जमकर विरोध किया और मनमोहन सिंह को पीएम पद के लिए चुने जाने के लिए पीछे कई तर्क दिए. कांग्रेस ने कहा कि उस समय बाजार और सुधार समर्थकों में मनमोहन सिंह सबसे ज्यादा लोकप्रिय चेहरे थे और उनकी प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए उनके नाम पर सहमति बनी थी.
ये भी पढ़ें: सोनिया ने कर दिया था इनकार, लाइन में थे ये 5 बड़े नेता…फिर भी कैसे PM की रेस जीत गए मनमोहन
कांग्रेस ने किया था विरोध
इस किताब पर खूब हो-हल्ला मचा और इसे पीएमओ ने पद का दुरुपयोग व व्यावसायिक लाभ कमाने की मंशा करार दिया था. वहीं संजय बारू ने अपनी किताब में कहा कि उन्होंने कभी भी मनमोहन सिंह का मीडिया सलाहकार रहने के दौरान किताब लिखने के बारे में नहीं सोचा था. अपने कार्यकाल के दौरान कुछ प्रमुख घटनाक्रमों के नोट्स बनाकर रखे थे. बारू का कहना था कि उन्होंने कभी कोई डायरी नहीं रखी.
संजय बारू लिखते हैं कि उन्होंने निजी कारणों से पीएमओ छोड़ा था. उनके मुताबिक, इसमें कोई शक नहीं कि 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत के आर्किटेक्ट मनमोहन सिंह थे लेकिन उस जीत का क्रेडिट उनको नहीं मिल पाया. बारू लिखते हैं कि जब 2008 में पीएमओ छोड़ा, तब मीडिया में उन्हें सिंह इज किंग कहा जाता था. लेकिन चार साल बाद एक न्यूज मैगजीन ने सिंग इज सिन’किंग’ कहा. यह बता रहा था कि उनकी इमेज तेजी से गिर रही है.