Ram Mandir: अवधपुरी में कुछ ही समय बाद भगवान राम आने वाले हैं. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह पर चिंता व्यक्त करने वाले चार शंकराचार्यों में से एक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि वह पीएम मोदी के प्रशंसकों में से एक हैं.उन्होंने कहा कि 2014 में पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद से हिंदू अपने आत्म-सम्मान के प्रति जागरूक हो गए हैं और यह कोई “छोटी बात” नहीं है.समाचार एजेंसी ANI द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में, उत्तराखंड में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि उन्होंने राम मंदिर निर्माण के अलावा विभिन्न पहलों के लिए पीएम मोदी और उनकी सरकार की प्रशंसा की.
#WATCH | Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati says, “The truth is, with Narendra Modi becoming the Prime Minister, Hindus’ self-respect has awoken. This is not a small thing. We have said it several times publically, we are not anti-Modi but Modi’s admirers. We admire him… pic.twitter.com/pVWXxNhigQ
— ANI (@ANI) January 21, 2024
बता दें कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर शंकराचार्यों ने असहमति व्यक्त की थी. हालांकि, अब उनके सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. उन्होंने रामलला के अवधपुरी आने से ठीक पहले कहा है कि सच तो यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है. यह छोटी बात नहीं है. हमने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि पीएम मोदी के प्रशंसक हैं. हम उनकी प्रशंसा करते हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत में दूसरा कौन सा प्रधानमंत्री इतना बहादुर और हिंदुओं के लिए मजबूती से खड़ा रहने वाला व्यक्ति है?
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“हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं, लेकिन वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो हिंदू भावनाओं का समर्थन करते हैं. हिंदू होने के नाते, क्या हम इसके खिलाफ हैं? आप क्या कह रहे हैं? आपका, मीडिया का, केवल एक ही एजेंडा है – हमें मोदी विरोधी साबित करो.”
शंकराचार्य ने आगे कहा, “मुझे बताएं, जब प्रधानमंत्री ने अपने गृह मंत्री के माध्यम से अनुच्छेद 370 को खत्म किया, तो क्या हमने इसका स्वागत नहीं किया? जब नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया गया तो क्या हमने इसकी प्रशंसा नहीं की? क्या हमने पीएम मोदी की स्वच्छता में बाधा डाली? क्या हमने उसकी भी प्रशंसा नहीं की?”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि शंकराचार्यों ने 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार की भी प्रशंसा की.उन्होंने आगे कहा, “बात यह है कि जब हिंदू भावनाएं मजबूत होती हैं, तो हम खुश होते हैं. और पीएम मोदी वह काम कर रहे हैं.”
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बता दें कि शंकराचार्यों ने कहा था कि वे 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ (प्रतिष्ठापन) समारोह में शामिल नहीं होंगे, जिसके बाद एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया.
हालांकि, चार में से तीन शंकराचार्यों ने प्रतिष्ठा समारोह का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने इस अनुष्ठान का विरोध करते हुए कहा कि यह हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार नहीं किया जा रहा है. शंकराचार्यों ने कहा कि भाग लेने में उनकी अनिच्छा न तो भगवान राम के प्रति श्रद्धा की अस्वीकृति थी और न ही वे “मोदी विरोधी” थे.