Stock Market Crash: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के मतगणना वाले दिन शेयर बाजार में जोरदार गिरावट को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है. निवेशकों को हुए 31 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के लिए पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यभ ने इस पूरे मामले की जेपीसी से जांच कराये जाने की मांग की है. राहुल गांधी ने कहा ये पहला मौका है जब प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री ने स्टॉक मार्केट पर कमेंट किया है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए राहुल ने कहा कि पीएम ने पहले 19 मई और फिर 28 मई को कहा कि शेयर बाजार 4 जून को सभी रिकॉर्ड तोड़ देगा तो गृह मंत्री ने कहा 4 जून से पहले शेयरों की खरीदारी कर लें शेयर बाजार नया हाई बनाएगा. और यही संदेश वित्त मंत्री ने भी दिया. राहुल गांधी ने कहा भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का ये सबसे बड़ा घोटाला है.
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पीयूष गोयल ने राहुल गांधी पर साधा निशाना
राहुल गांधी के इस बयान पर अब बीजेपी के दिग्गज नेता पीयूष गोयल ने पलटवार किया है. बीजेपी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि, “राहुल गांधी अभी भी लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर नहीं पाए हैं. अब वह बाजार के निवेशकों को गुमराह करने की साजिश कर रहे हैं. आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.”
#WATCH भाजपा नेता पीयूष गोयल ने कहा, “राहुल गांधी अभी भी लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर नहीं पाए हैं। अब वह बाजार के निवेशकों को गुमराह करने की साजिश कर रहे हैं। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है…” pic.twitter.com/INqkr4WilP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 6, 2024
बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने आगे कहा, “मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में पहली बार हमारा मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. आज, भारत का इक्विटी बाजार दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं के मार्केट कैप में शामिल हो गया है…” हम जानते हैं कि मोदी सरकार के तहत बाजार में सूचीबद्ध पीएसयू का मार्केट कैप 4 गुना बढ़ गया है…”
यूपीए सरकार में मार्केट कैप सिर्फ 77 लाख करोड़
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को याद करते हुए पीयूष गोयल ने कहा, “10 साल पहले जब यूपीए सरकार सत्ता में थी, उस समय भारत का मार्केट कैप 67 लाख करोड़ रुपये था…आज मार्केट कैप बढ़कर 415 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यूपीए के समय विदेशियों की हिस्सेदारी 21 फीसदी थी और आज यह घटकर 16 फीसदी रह गई है, यानी विदेशियों का निवेश कम हो गया है और भारतीय निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में हिस्सेदारी बढ़ गई है.”
2014 में म्यूचुअल फंड उद्योग का आकार केवल 10 लाख करोड़ रुपये था, आज यह 5 गुना से अधिक बढ़कर 56 लाख करोड़ रुपये हो गया है. म्यूचुअल फंड के माध्यम से, भारतीय निवेशक विशेष रूप से छोटे निवेशक लाभ उठा रहे हैं. आज इस बढ़ते बाजार और इन छोटे खुदरा निवेशकों ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत का स्वामित्व आज संस्थागत निवेशकों के स्वामित्व से कहीं अधिक हो गया है…”