Vistaar NEWS

जातीय जनगणना का समर्थन, बंगाल पर कड़ा रुख…RSS की ‘समन्वय बैठक’ में क्या-क्या हुआ?

मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर

मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर

केरल के लगभग एकांत और शांत कोने पलक्कड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने समन्वय बैठक की. यह बैठक तीन दिनों तक चली. शनिवार को शुरू हुई इस बैठक में 320 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया, जिनमें 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों से लेकर नए और युवा लोग भी शामिल हुए. वरिष्ठों में संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, वरिष्ठ पदाधिकारी और सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग शामिल थे. इस बैठक में कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या और जाति जनगणना समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई.

जातीय जनगणना का समर्थन

RSS ने देश में जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया है, लेकिन एक शर्त पर कि इसके नतीजों का इस्तेमाल नागरिकों की ‘कल्याणकारी’ जरूरतों के लिए किया जाए, न कि ‘चुनावी उद्देश्यों’ के लिए. सोमवार को आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने कहा, “सरकार को जाति जनगणना करवाना चाहिए.” अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आंबेकर ने कहा, “जातिगत प्रतिक्रिया हमारे समाज में एक संवेदनशील मुद्दा हैं और वे राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, जाति जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.”

जाति जनगणना विवाद का विषय रहा है और कांग्रेस पार्टी ने इस साल लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान के दौरान इसे बढ़ावा दिया है. शुरुआत में केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने इसका विरोध किया, लेकिन हाल ही में लोक जनता पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान सहित भाजपा के सहयोगियों ने भारत में जाति जनगणना की आवश्यकता के बारे में बात की है.

RSS ने बीजेपी को दे दी हरी झंडी!

बता दें कि हाल के दिनों में जब जातिगत जनगणना की मांग ने जोर पकड़ी तो संघ से भी इस पर सवाल पूछे गए. हालांकि संघ जाति-विहीन समाज की बात कहते हुए एक तरीके से इस मुद्दे पर उदासीन रहा. न तो इसका समर्थन किया और न ही विरोध. पर अब पलक्कड़ की बैठक के बाद जातीय जनगणना की तरफदारी क्यों करनी पड़ी? राजनीति को समझने वाले लोगों की मानें तो हाल के दिनों में जिस तरह संघ को आरक्षण या जातीय जनगणना का विरोधी साबित करने की कोशिश हो रही थी, संघ उस पर अपना रुख साफ करना चाह रहा था. जातीय जनगणना के समर्थन को इससे जोड़कर देख सकते हैं.

RSS के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो संघ का मानना रहा है कि हिंदुओं में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए और जाति-विहीन समाज की बात करते रहे हैं. पर अब जिस तरीके से जातीय जनगणना कराने की बात की है, उसे निश्चित तौर पर राजनीतिक दबाव मानेंगे. यह संघ की लाइन है ही नहीं. RSS ने जातीय जनगणना कराने की बात तो कही है, लेकिन साथ-साथ यह भी कहा है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ जातियों की भलाई के लिए होना चाहिए. जातीय संख्या को सार्वजनिक करके इसका इस्तेमाल राजनीति के लिए नहीं करना चाहिए. अगर इस बैठक का निचोड़ निकाला जाए तो संघ ने इस बैठक से बीजेपी को हरी झंडी दिखा दी है कि वो अब आगे बढ़ सकती है.

महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए कानूनों पर RSS का रुख

‘समन्वय बैठक’ में आरएसएस ने न सिर्फ जातीय जनगणना की बात की, बल्कि अत्याचारों से पीड़ित महिलाओं के लिए त्वरित न्याय की बात भी की है. मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने कहा कि अत्याचारों से पीड़ित महिलाओं के लिए त्वरित न्याय में तेजी लाने के लिए कानूनों और दंडात्मक कार्रवाइयों की समीक्षा करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बैठक में कोलकाता के अस्पताल में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना पर विस्तार से चर्चा की गई. आंबेकर ने कहा कि यह एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और हर कोई इसके बारे में चिंतित है. उन्होंने कहा कि बैठक में सरकार की भूमिका, आधिकारिक तंत्र, कानून, दंडात्मक कार्रवाई और प्रक्रियाओं पर चर्चा की गई. आंबेकर ने कहा, “उन सभी का मानना है कि इन सभी पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है ताकि हमारे पास उचित प्रक्रिया, फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाएं हो सके और हम पीड़ित को न्याय दिला सकें.”

यह भी पढ़ें: AAP विधायक अमानतुल्लाह खान गिरफ्तार, घंटों पूछताछ के बाद साथ ले गई ED

ध्यान देने की बात है कि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की कमी को भी एक कारण माना जा रहा था. लोकसभा चुनाव के बाद समन्वय को लेकर हो हुई इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष भी हिस्सा लेने पहुंचे थे. नड्डा की उपस्थिति इस दृष्टि से महत्वपूर्ण था कि उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान RSS को यह कहकर नाराज कर दिया था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम है. नड्डा ने कहा था, “हम शुरुआत में कम सक्षम रहे होंगे, हमें RSS की जरूरत थी, लेकिन आज हम आगे बढ़ चुके हैं और सक्षम हैं. RSS ने पलटवार किया. किसी का नाम लिए बिना भागवत ने कहा था एक सच्चा सेवक अहंकारी नहीं हो सकता.

RSS को बांग्लादेशी हिंदुओं की चिंता

इस बैठक में  RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने सभी संबद्ध और प्रेरित संगठनों को बांग्लादेशी हिंदुओं की हर संभव मदद करने का निर्देश दिया है. जानकारी के अनुसार संगठनों सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को याचिकाएं सौंपेंगे, साथ ही हिंदुओं के पक्ष में और अधिक वैश्विक समर्थन जुटाएगा और पड़ोसी देश में समुदाय की सुरक्षा के लिए अंतरिम सरकार पर दबाव डालेगा. बताते चलें कि बैठक से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि UCC, मणिपुर, बांग्लादेश और SC/ST आरक्षण में उपवर्गीकरण जैसे मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी, लेकिन संघ की बैठक में जातीय जनगणना और बंगाल के साथ-साथ बांग्लादेशी हिन्दुओं के मुद्दे को छुआ और मणिपुर, बांग्लादेश जैसे मुद्दे से किनारा कर लिया.

Exit mobile version