अब हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को ‘वन रैंक वन पेंशन’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर किसी हाई कोर्ट जज की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनकी विधवा या परिवार को ग्रैच्युटी मिलेगी. इसमें सेवा की न्यूनतम अवधि की शर्त भी लागू नहीं होगी.
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों के लिए एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. अब हर रिटायर्ड हाई कोर्ट जज को ‘वन रैंक वन पेंशन’ का हक मिलेगा, चाहे वो जज किसी भी रास्ते से आए हों या कितने समय तक सेवा की हो. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पेंशन में भेदभाव अब बर्दाश्त नहीं.

क्या है पूरा मामला?

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में बड़ा आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों की पेंशन उनके आने के स्रोत या सेवा की अवधि के आधार पर अलग-अलग नहीं हो सकती. यानी, चाहे जज ने हाई कोर्ट में एक साल काम किया हो या दस साल, पेंशन सबको बराबर मिलेगी.

कितनी मिलेगी पेंशन?

रिटायर्ड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को हर साल 15 लाख रुपये की पेंशन.
बाकी रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों को हर साल 13.50 लाख रुपये की पेंशन.
अगर कोई जज एडिशनल जज के तौर पर रिटायर हुआ, तब भी उसे पूरी पेंशन मिलेगी.

परिवार को भी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर किसी हाई कोर्ट जज की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनकी विधवा या परिवार को ग्रैच्युटी मिलेगी. इसमें सेवा की न्यूनतम अवधि की शर्त भी लागू नहीं होगी. चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “न्यायपालिका की आजादी और सम्मान के लिए जरूरी है कि रिटायर्ड जजों को समान पेंशन मिले. एक बार जब कोई जज संवैधानिक पद पर बैठता है, तो उसे बराबर का हक मिलना चाहिए. नियुक्ति का स्रोत या सेवा का समय इस हक को कम नहीं कर सकता.”

यह भी पढ़ें: मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, गिरफ्तारी पर लगाई रोक, 3 सदस्यीय SIT गठित करने के लिए कहा

क्या है ‘वन रैंक वन पेंशन’?

‘वन रैंक वन पेंशन’ का मतलब है कि एक ही रैंक पर रिटायर होने वाले सभी लोगों को एक जैसी पेंशन मिलेगी, भले ही उनकी सेवा की शर्तें अलग-अलग हों. सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धांत को हाई कोर्ट जजों पर लागू करके उनके सम्मान को और मजबूत किया है.

क्यों खास है ये फैसला?

यह फैसला न सिर्फ रिटायर्ड जजों के लिए आर्थिक राहत लेकर आया है, बल्कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा को भी रेखांकित करता है. अब जजों को यह डर नहीं रहेगा कि उनकी पेंशन उनके करियर के रास्ते या सेवा की अवधि पर निर्भर करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को आदेश दिया है कि वह हाई कोर्ट जजों के लिए तय पेंशन और भत्तों का भुगतान तुरंत शुरू करे. यह फैसला न केवल जजों के लिए, बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था के लिए एक मिसाल है.

ज़रूर पढ़ें