Shankar Rao: छत्तीसगढ़ के कांकेर में मंगलवार को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई. जिसमें सुरक्षा बलों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया. ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बीएसएफ के जवानों को काफी संघर्ष करना पड़ा. लेकिन आखिरकार सफलता सुरक्षा बलों के हाथ लगी. इसके बाद नक्सलियों के पास से भारी तादाद में हथियार बरामद किए गए हैं. इनमें एके-47 और लाइट मशीन गन (एलएमजी) जैसे कई खतरनाक हथियार भी शामिल हैं. सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए इस ऑपरेश में अब तक के इतिहास में यहां किसी एक मुठभेड़ में नक्सलियों की सबसे अधिक मौत हुई हैं.
इतनी बड़ी संख्या में एक साथ नक्सलियों को मारना गिरना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता है. लेकिन, इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि जवानों ने 25 लाख का ईनामी नक्सली शंकर राव को मारने में भी बड़ी सफलता पाई है. वो दंडकारण्य डिवीजन में नक्सलियों का सबसे बड़ा और प्रभावशाली कमांडर था. वो अपने डिवीजन का मिलिट्री इंटेलिजेंस चीफ था. सरकार ने उसके सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम भी रखा था. उसे दहशत का दूसरा नाम भी कहा जाता था. उससे आम लोग क्या पुलिसवाले भी खौफ खाते थे.
घातक हथियार चलाने में माहिर था शंकर राव
खूंखार नक्सली के रूप में पहचान बना चुका शंकर राव लाइट मशीन गन और एके-47 जैसे खतरनाक हथियारों को काफी आसानी से हैंडल कर लेता था. इस तरह के हथियार हमेशा ही उसके साथ रहता था. पिछले 15 वर्षों से आतंक की दुनिया में उसने अपना दबदबा कायम रखा था. छत्तीसगढ़ से लेकर तेलंगाना और ओड़िसा तक के जंगलों में उसके नाम का खौफ था. शंकर राव कई बड़े नक्सली घटनाओं को नेतृत्व कर चुका था, जिसमें बड़ी तादाद में लोग मारे गए.
बता दें कि साल 2021 में शंकर राव ने सबसे बड़ी वारदात को अंजाम दिया था. अपने साथियों के साथ मिलकर उसने सीआरपीएफ के जवानों को लेकर जा रही बस को आईईडी के जरिए उड़ा दिया था. इस घटना में 5 जवान शहीद हो गए थे, जबकि दो दर्जन से ज्यादा घायल हुए थे. वो सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों पर घातक लगाकर हमला करता था. वो सुकमा और बीजापुर जिले में हुए कई वारदातों का मास्टरमाइंड था.
लंबे समय से तलाश में थी पुलिस
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक, मूलरूप से तेलंगाना का रहने वाला शंकर राव की लंबे समय से तलाश थी. वो बस्तर जिले के कांकेर के थाने के परतापुर, बड़गांव, पखांजूर, दुर्गकोंदल, कोयलीबेड़ा, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में ज्यादा एक्टिव रहता था. शंकर को पहले जनमिलिशिया का कमांडर बनाया गया था. लेकिन सक्रियता और तेज दिमाग की वजह से उसे लगातार प्रमोशन मिलता रहा.
आईजी ने आगे कहा कि सुरक्षाबलों को माओवादियों के उत्तरी बस्तर डिवीजन के नक्सली शंकर राव, ललिता, राजू सहित अन्य नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी. इसके बाद छोटेबेटिया थाना क्षेत्र में बीएसएफ और डीआरजी की संयुक्त टीम को गश्ती के लिए रवाना किया गया. दोपहेर करीब दो बजे हापाटोला गांव के जंगल में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी.
मुठभेड़ में तीन सुरक्षाकर्मी घायल
गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस मुठभेड़ में तीन सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनमें बीएसएफ के दो इंस्पेक्टर और एक डीआरजी जवान शामिल है. बताया गया कि 15 अप्रैल की देर शाम को ऑपरेशन शुरू किया गया था. सुरक्षाबलों को पांच इनपुट मिले थे. इसमें बिनागुंडा क्षेत्र में माओवादियों की उत्तर बस्तर डिवीजन समिति की सटीक स्थिति बताने वाले दो इनपुट भी शामिल थे.