रामलला के मूर्तिकार अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) और उनके परिवार को अमेरिका ने वीजा देने से मना कर दिया है. उन्होंने एसोसिएशन ऑफ कन्नड़ कूटस ऑफ अमेरिका द्वारा आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन-2024 में भाग लेने के लिए आवेदन किया था. अमेरिकी दूतावास ने अभी तक कोई कारण नहीं बताया है कि उसने आवेदन क्यों खारिज किया. अरुण योगीराज को एसोसिएशन ऑफ कन्नड़ कूटस ऑफ अमेरिका (AKKA) द्वारा आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन (डब्ल्यूकेसी 2024) में हिस्सा लेने लेने के लिए बुलाया गया था.
योगीराज ने बनाई थी रामलला की प्रसिद्ध मूर्ति
ये कार्यक्रम 30 अगस्त से 1 सितंबर, 2024 तक वर्जीनिया के ग्रेटर रिचमंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होना है. सम्मेलन का उद्देश्य कन्नड़ संस्कृति और विरासत का जश्न मनाना है. क्योंकि, उन्होंने राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रसिद्ध मूर्ति बनाई थी, इसलिए उन्हें सम्मान के तौर पर शामिल होने के लिए बुलाया गया था. हैरत की बात ये है अरुण योगीराज की पत्नी अमेरिका में ही हैं. हालांकि, उनको वीजा नहीं दिया गया. सूत्रों के मुताबिक, अरुण फिलहाल भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं. वहीं अमेरिका ने भी अभी तक इस मामले में कोई कारण नहीं बताया है.
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हैरान करने वाली है घटना
अरुण योगीराज की अंतरराष्ट्रीय पहचान के बावजूद यह घटना हैरान करने वाली है. अरुण ने 20 दिन के पर्यटक वीजा के लिए आवेदन किया था. लेकिन यह एक अप्रत्याशित घटनाक्रम था कि जब सारी व्यवस्थाएं पूरी हो गईं तो उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया गया. उनका एकमात्र इरादा कन्नड़ सम्मेलन में भाग लेना और तुरंत लौटना था. इसके अलावा कोई प्रयोजन नहीं था. परिजनों ने कहा कि इससे हमारे परिवार को दुख हुआ है कि अब वीजा को लेकर ऐसी समस्या आ रही है जो पहले नहीं थी.
अरुण ने क्या कहा?
मूर्तिकार अरुण योगीराज ने अपने वीज़ा अस्वीकृति के बारे में मीडिया को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सच है कि उनका वीज़ा अमेरिका द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था. वीजा क्यों खारिज किया गया, इसके सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए. पांच पीढ़ियों से चली आ रही मूर्तिकला की प्रसिद्ध विरासत वाले परिवार से आने वाले मैसूर के अरुण योगीराज ने अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित बलराम के अलावा कई मूर्तियों को तराशकर ध्यान आकर्षित किया है. वर्तमान में देश में सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकारों में से एक, अरुण योगीराज कम उम्र में ही अपने पिता योगीराज और दादा बसवन्ना शिल्पी से प्रभावित थे.