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वसीम रिजवी ने फिर बदला नाम, ब्राह्मण से बने ठाकुर, इस्लाम छोड़ अपनाया था हिंदू धर्म

Jitendra Narayan Singh Sengar

जितेंद्र नारायण त्यागी ने अपना नाम बदल कर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया है.

Brahman to Thakur: वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अपना नाम बदला है. वसीम ने त्यागी ब्राह्मण से अपना नाम बदल कर ठाकुर कर लिया है. शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम धर्म छोड़ हिंदू धर्म अपनाया था. अब उन्होंने अपनी जाती भी बदल ली है. 2021 में जब उन्होंने धर्म परिवर्तन किया था, तब उन्होंने नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा था. अब उन्होंने अपना नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर रख लिया है.

2021 में इस्लाम छोड़ बने थे हिंदु

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सााल 2021 में इस्लाम को त्याग कर हिंदु धर्म अपना लिया था. अब उन्होंने एक बार फिर से अपना नाम बदल लिया है. इस्लाम धर्म छोड़ ब्राह्मण बनकर उन्होंने अपना नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा था. अब उन्होंने इस नाम को भी बदल लिया है. अब वह ब्राह्मण से ठाकुर बन गए हैं. उनका नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर हो गया है. रिजवी ने अपने एक बयान में कहा था कि उन्हें इस्लाम धर्म से निकाल दिया गया है.

दिवाली की बधाई पर जारी हुआ नया नाम

जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने अपना नया नाम दिवाली की बधाई पर जारी किया है. इसी बधाई के साथ उन्होंने अपना नया नाम भी लोगों के सामने रखा. जब वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था, तब वे खासे चर्चा में आए थे.

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रिजवी ने बदला धर्म

जितेंद्र ने जब इस्लाम धर्म को छोड़ा था तब इस्लाम गुरुओं ने उनके खिलाफ फतवे भी जारी किए थे. यहां तक परिवार में भी उनके विवाद खड़ा हो गया था. मां और भाई ने भी उनसे नाता तोड़ लिया था. उन पर इस्लाम के धर्म गुरुओं के बारे में अक्सर विवादित बयानबाजी के आरोप लगते रहे हैं.जितेंद्र शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं और 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही वे चर्चा में बने हुए हैं. मदरसा शिक्षा को आतंकवाद से जोड़ने और कुतुब मीनार को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के कारण भी जितेंद्र चर्चा में आए रह चुके हैं.

जितेंद्र ने दावा किया था कि कुछ शैक्षणिक संस्थान चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं. इस बयान के बाद शिया और सुन्नी दोनों समुदाय के लोगों ने उनका पुरजोर विरोध किया था. उनके विवादास्पद विचारों के जवाब में, शिया और सुन्नी दोनों संप्रदायों के उलेमाओं ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया, जिसको लेकर उन्होंने बाद में दावा किया कि उन्हें इस्लाम से निकाल दिया गया है.

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