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सालों पहले महाराष्ट्र, अब बंगाल में बिहार के परीक्षार्थियों से मारपीट, धमकी भी दी, दशकों बाद भी नहीं बदली तस्वीर

West Bengal Case

पश्चिम बंगाल में बिहारी परीक्षार्थियों के साथ मारपीट

West Bengal: केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय से सांसद गिरीराज सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि बंगाल में रोहिंग्या मुसलमान के लिए रेड कारपेट और परीक्षा देने गए बिहार के बच्चों के साथ मारपीट? क्या ये बच्चे हिंदुस्तान के अंग नहीं? क्या ममता सरकार ने सिर्फ बलात्कारियों को बचाने का ठेका ले रखा है? गिरीराज सिंह ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें देखा जा सकता है कि जिस कमरे में अभ्यर्थी ठहरे हैं, उसमें अचानक कुछ लोग आ जाते हैं और उनसे पूछताछ करते हैं. इसके बाद उनको सख्त हिदायत दी जाती है कि वो कभी बंगाल में न आएं.

आपको बता दें कि ये कोई पहली घटना नहीं है जब बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों के साथ देश के अन्य राज्यों में इस तरह का बर्ताव किया गया हो. आपको याद दिला दूं कि आज से 16 वर्ष पहले यानी की साल 2008 में महाराष्ट्र में भी बिहार और यूपी के छात्रों पर हमला किया गया था. लेकिन इतने लंबे समय के बाद आज भी  स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.

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क्या है 2008 की घटना?

महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश और बिहारी प्रवासियों पर 3 फरवरी 2008 को हमले हुए. इसकी शुरुआत दो राजनीतिक दलों- महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और समाजवादी पार्टी (एसपी) के कार्यकर्ताओं के बीच मुंबई के दादर में हिंसक झड़पों के बाद हुआ था. झड़पें तब हुईं जब शिवसेना से निकले एक अलग गुट एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने सपा के कार्यकर्ताओं पर हमला करने की कोशिश की, जो संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (यूएनपीए) द्वारा आयोजित एक रैली में भाग लेने के लिए आगे बढ़ रहे थे.

इन झड़पों के कारण होने वाली घटनाओं में राज ठाकरे ने उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासियों के बारे में भाषा की राजनीति और क्षेत्रवाद पर आधारित आलोचनात्मक बयान दिए, उन पर महाराष्ट्र की संस्कृति को खराब करने और उनके साथ घुलने-मिलने का आरोप लगाया. उन्होंने उत्तर भारतीय प्रवासियों द्वारा छठ पूजा मनाने को “नाटक” और “अहंकार का प्रदर्शन” कहा था.

राज ठाकरे की गिरफ्तारी

13 फरवरी 2008 को राज ठाकरे और अबू असीम आज़मी (एक स्थानीय सपा नेता) को हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि उसी दिन रिहा कर दिया गया, लेकिन दोनों नेताओं पर आगे भड़काऊ टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक गैग ऑर्डर लगाया गया था.  इस बीच, महाराष्ट्र में तनाव बढ़ गया क्योंकि राज ठाकरे की संभावित गिरफ्तारी की खबर और उसके बाद उनकी वास्तविक गिरफ्तारी ने उनके समर्थकों को नाराज कर दिया.

इसके बाद मुंबई, पुणे,औरंगाबाद, बीड, नासिक, अमरावती, जालना और लातूर में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा उत्तर भारतीयों और उनकी संपत्ति के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हुईं. इन हमलों के मद्देनजर लगभग 25,000 उत्तर भारतीय श्रमिक पुणे से भाग गए. हालांकि दोनों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हिंसा कम हो गई, लेकिन मई 2008 तक छिटपुट हमले हुए.

यूपी-बिहार के परीक्षार्थियों पर हमला

महीनों की शांति के बाद, 19 अक्टूबर 2008 को MNS कार्यकर्ताओं ने मुंबई में अखिल भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले उत्तर भारतीय उम्मीदवारों की पिटाई की. इस घटना के कारण राज ठाकरे की गिरफ्तारी हुई और फिर से हिंसा हुई. बाद में 28 अक्टूबर 2008 को उत्तर प्रदेश के एक मजदूर की मुंबई की एक ट्रेन में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के राजनीतिक नेतृत्व से हमलों की आलोचनात्मक प्रतिक्रियाएं हुईं.

हालांकि, इस घटना को हुए लगभग दो दशक होने के जा रहे हैं, इसके बावजूद भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. जो राज्य सरकार के काम करने के पैटर्न पर सवाल उठाते हैं कि इतना कुछ होने के बाद भी बिहार की राज्य सरकार ने ऐसा क्या कदम उठाया जो राज्य से पलायन कर दूसरे राज्यों में जा रहे लोगों को रोका जा सके.

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