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Parliament: कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं, संसद में नेता विपक्ष के लिए क्या-क्या फायदें?

Leader Of Opposition

संसद में नेता विपक्ष की भूमिका

Leader Of Opposition In Parliament: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मंगलवार को इंडिया ब्लॉक की बैठक हुई. इस बैठक में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर चर्चा हुई. इसके साथ ही बैठक में उन्हें नेता विपक्ष बनाने के लिए प्रोटेम स्पीकर को पत्र भी लिखा गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बैठक में राहुल गांधी को सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर चर्चा हुई है. साथ ही बैठक में उन्हें नेता विपक्ष बनाने के लिए प्रोटेम स्पीकर को पत्र भी लिखा है.

बीते दिनों कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाने की मांग उठी थी. बैठक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया है कि राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया जाना चाहिए. अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे. संसद में नेता विपक्ष के लिए क्या-क्या विशेष सुविधाएं हैं उनको विस्तार से जानते हैं.

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साल 1977 में मिली वैधानिक मान्यता

ऐसे सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को सदन में विपक्ष के नेता/नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दी जाती है जिसने सदन की कुल सीटों का कम से कम दसवें हिस्से पर जीत हासिल की हो. सदन में विपक्ष का नेता सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करता है और एक वैकल्पिक सरकार प्रदान करता है. दोनों सदनों राज्य सभा और लोकसभा में विपक्ष के नेता को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी और वे कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं के हकदार हैं. विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख संविधान में नहीं बल्कि संसदीय संविधि में है.

आपको बता दें कि 1969 तक लोकसभा में विपक्ष का एक वास्तविक नेता होता था, जिसे कोई औपचारिक मान्यता, दर्जा या विशेषाधिकार नहीं मिलता था. बाद में विपक्ष के नेता को आधिकारिक मान्यता दे दी गई और 1977 के अधिनियम द्वारा उनके वेतन और भत्ते बढ़ा दिए गए. तब से, लोकसभा में नेता विपक्ष के लिए तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं.

दिसंबर 1969 में कांग्रेस पार्टी (ओ) को संसद में मुख्य विपक्षी दल के रूप में मान्यता दी गई. इस दौरान कांग्रेस पार्टी (ओ ) के नेता राम सुभग सिंह ने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई थी.

10 साल से लोकसभा में कोई नेता विपक्ष नहीं

गौरतलब है कि पिछले 10 दास में लोकसभा में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं बन सका. केवल इसलिए कि सत्तारूढ़ दल के अलावा कोई भी राजनीतिक दल विपक्ष के नेता को नामित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम लोकसभा सीटें हासिल करने में सक्षम नहीं था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 52 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. यह अपेक्षित संख्या से तीन कम थी. वहीं,2014 के लोकसभा चुनाव में भी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस ने 44 लोकसभा सीटें जीती थीं. जो कि अपेक्षित संख्या से काफी कम थी.

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