One Nation One Election Bill: आज लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘वन नेशन,वन इलेक्शन’ बिल पेश किया. इस बिल का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना है, ताकि चुनावी खर्च को कम किया जा सके और प्रशासनिक कार्यों में रुकावटें न आएं. बिल पेश होते ही सदन में विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया. कांग्रेस पार्टी, शिवसेना UBT, और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दल इस बिल के खिलाफ खड़े हो गए. उनका कहना था कि इस बिल के जरिए सरकार देश में तानाशाही लाने की कोशिश कर रही है और इससे राज्यों के अधिकारों पर असर पड़ेगा.
विशेषकर, समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसे बीजेपी की तानाशाही का हिस्सा करार दिया. वहीं, कांग्रेस और अन्य दलों का कहना था कि यह देश के लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है.
बिल पर लोकसभा में वोटिंग
इस बिल पर लोकसभा में वोटिंग हुई. यह पहला मौका था जब लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान किया गया. बिल के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 198 वोट पड़े. इसका मतलब यह हुआ कि बिल लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया. अब यह संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर आगे बढ़ेगा. हालांकि, विपक्ष के विरोध को देखते हुए बीजेपी ने इस बिल को जेपीसी में भेजने की वकालत की है.
बिल को JPC को भेजने का प्रस्ताव
बिल पास होने के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बिल अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास जाएगा. JPC के पास भेजने का उद्देश्य है कि इस बिल पर और अधिक विस्तृत चर्चा की जाए और यदि आवश्यक हो तो इसमें सुधार किए जाएं. इस समिति का प्रमुख बीजेपी का सदस्य होगा और इसकी सदस्य संख्या भी बीजेपी के पक्ष में अधिक होगी. दरअसल, समिति में पार्टियों के सदस्यों के संख्या बल के अनुपात में ही हिस्सेदारी होगी.
सरकार के सामने आगे की चुनौती
अब, सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस बिल को राज्यसभा और फिर संविधान संशोधन के रूप में पारित कराना है. इसके लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, जो आसान नहीं है. लोकसभा में एनडीए के पास 292 सीटें हैं, लेकिन दो तिहाई बहुमत के लिए 362 सीटें चाहिए.
राज्यसभा में भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है. एनडीए के पास 112 सीटें हैं, जबकि विपक्ष के पास 85 सीटें हैं. इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों का सहयोग चाहिए होगा, लेकिन वर्तमान में यह सहयोग मिलने की संभावना कम है क्योंकि इंडिया गठबंधन के ज्यादातर दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
विपक्ष का विरोध
अभी तक, 15 राजनीतिक दलों ने इस बिल का विरोध किया है, जिनकी लोकसभा में कुल 205 सीटें हैं. इन दलों का कहना है कि इस विधेयक के माध्यम से सत्ता केंद्रित करने की कोशिश हो रही है, और राज्यों के अधिकारों का हनन हो सकता है. इस स्थिति में, अगर सरकार को विधेयक को संसद में पारित कराना है, तो उसे इंडिया गठबंधन के दलों को मनाना होगा, जो कि एक कठिन कार्य होगा.
‘एक देश, एक चुनाव’ बिल लोकसभा में तो पारित हो गया, लेकिन सरकार के लिए असली चुनौती अब राज्यसभा और संविधान संशोधन प्रक्रिया में है. विपक्ष का मजबूत विरोध और दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. JPC के पास जाने के बाद भी, सरकार को व्यापक सहमति बनानी होगी ताकि इस बिल को पूरे देश में लागू किया जा सके.