CJI Sanjiv Khanna: 11 नवम्बर 2024 को जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली. उन्होंने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली है, जिनका दो साल का कार्यकाल रविवार को खत्म हो गया था. जस्टिस खन्ना का कार्यकाल अगले छह महीने (13 मई 2025) तक रहेगा और इस दौरान उनके सामने कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों की सुनवाई होगी.
जस्टिस संजीव खन्ना की कार्यशैली
जस्टिस खन्ना को उनकी स्पष्टता और तर्कपूर्ण फैसलों के लिए जाना जाता है. उन्होंने RTI, न्यायिक पारदर्शिता, VVPAT, इलेक्टोरल बॉन्ड, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दिए हैं. वे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के जज रहे और जनवरी 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था.
पेंडिंग बड़े मामले
जातीय जनगणना का मामला: बिहार में जातीय जनगणना के आयोजन को चुनौती दी गई है. यह मामला जस्टिस खन्ना के पास सुनवाई के लिए है, और सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण का अधिकार है या नहीं.
पीएम मोदी से जुड़ी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई है.
समलैंगिक विवाह (LGBTQ समुदाय): समलैंगिक विवाह के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामलों पर जस्टिस खन्ना की बेंच को निर्णय लेना होगा.
विवाहिक बलात्कार और दांपत्य अधिकार: दांपत्य अधिकारों की बहाली की वैधता और विवाहिक बलात्कार के मामले में निर्णय लेना भी उनके समक्ष होगा.
इसके अलावा, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, राज्य के टैक्स अधिकार, और अन्य संवैधानिक मुद्दों पर भी जस्टिस खन्ना के नेतृत्व में सुनवाई होनी है.
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महत्वपूर्ण फैसले और कार्य
जस्टिस खन्ना ने अपनी बेंच के साथ कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया है:
AMU का अल्पसंख्यक दर्जा: जस्टिस खन्ना की बेंच ने ऐतिहासिक फैसले में अखिल भारतीय मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को अल्पसंख्यक दर्जा देने का निर्णय दिया. यह फैसले 1967 के पुराने फैसले को बदलता है, जिसमें AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इनकार किया गया था.
शराब नीति मामला: दिल्ली सरकार की शराब नीति पर आए फैसले में जस्टिस खन्ना की बेंच ने आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ जमानत पर विचार किया और इस मुद्दे को बड़ी बेंच को भेजा.
OROP योजना में देरी: जस्टिस खन्ना ने “वन रैंक, वन पेंशन” (OROP) योजना की देरी पर केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया और उसे आदेश दिया कि वह जल्द से जल्द निर्णय लें. उन्होंने सेना के कल्याण के लिए यह रकम एक फंड में जमा करने का आदेश भी दिया.
सेम सेक्स विवाह: जस्टिस खन्ना ने समलैंगिक विवाह से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें इस मामले से जुड़े मामलों में सुनवाई से छूट दी जाए.
जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण होने वाला है, क्योंकि उनके पास कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई है. उनका स्पष्ट और मजबूत न्यायिक दृष्टिकोण सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में नई दिशा दे सकता है. उनके निर्णय न केवल कानून की व्याख्या करेंगे, बल्कि समाज की संवेदनशील मुद्दों पर भी प्रभाव डालेंगे.