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राजनीति में एंट्री करने वाले युवा में क्या टैलेंट होना चाहिए? PM Modi ने दिया जवाब

PM Modi

निखिल कामथ और पीएम मोदी

PM Modi Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट का एपिसोड रिलीज हो चुका है. कामथ ने इसके पहले 2 मिनट 13 सेकेंड का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था. वहीं अब पूरा एपिसोड जारी हो गया है. इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर बात की. कामथ ने पीएम मोदी से सवाल किया कि ऐसा कुछ है क्या जिसे पॉलिटिक्स में टैलेंट मान सकते हैं? अगर किसी युवा को राजनेता बनना है तो क्या ऐसे कुछ टैलेंट हैं, जिन्हें आप परख सकते हैं?

इस पर पीएम मोदी ने कहा, “दो अलग-अलग चीजें हैं. एक राजनेता बनना एक बात है और पॉलिटिक्स में सफल होना दूसरी बात है. मैं मानता हूं कि इसके लिए समर्पण और प्रतिबद्धता चाहिए. जनता के सुख-दुख के आप साथी होने चाहिए. आपको अच्छा टीम प्लेयर होना चाहिए. अगर आप खुद को तीस मार खां समझते हैं कि मैं जैसे चाहूंगा चलाऊंगा, तो ऐसे में हो सकता है कि आपकी राजनीति चल जाए, चुनाव जीत जाए. लेकिन वो सफल राजनेता बनेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.”

उन्होंने कहा, “मैं कभी-कभी सोचता हूं, हो सकता है इससे विवाद भी हो जाए. जब आज़ादी का आंदोलन चला तो उससे समाज के सभी वर्गों के लोग जुड़े. लेकिन सभी राजनीति में नहीं आए. कुछ लोगों ने अपना जीवन शिक्षा को दिया, किसी ने खादी को, किसी ने आदिवासियों की भलाई के लिए अपना जीवन दे दिया. लेकिन वो आंदोलन देशभक्ति से प्रेरित आंदोलन था. एक जज़्बा था कि मुझसे जो होगा करूंगा. आज़ादी के बाद उसका एक हिस्सा राजनीति में आया. शुरू में देखिए, राजनीति में जो बड़े नेता थे, वो आज़ादी की जंग से निकले हुए नेता थे. उनकी सोच, उनकी परिपक्वता, उनका व्यवहार बिल्कुल अलग था, जो समाज को समर्पित था.”

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पीएम मोदी ने कहा, “इसलिए मेरा मत है कि राजनीति में अच्छे लोग आते रहने चाहिए. राजनीति में मिशन लेकर आना चाहिए, एंबिशन लेकर नहीं. एंबिशन लेकर निकलेंगे तो कोई ना कोई जगह तो मिल जाएगी, लेकिन मिशन से ये ऊपर होना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “आज के युग के नेताओं में महात्मा गांधी कहां फिट होते हैं? दुबला-पतला शरीर, भाषण कला भी अच्छी नहीं थी. लेकिन क्या कारण था कि वो इतने बड़े नेता थे? उनका जीवन बोलता था. यह जो ताकत थी, उसने इस व्यक्ति के पीछे पूरे देश को खड़ा कर दिया था. आज के टाइम में कुछ समय के लिए तो ताली बज जाती है, लेकिन आखिर में आपका जीवन काम करता है. दूसरा मेरा मत है कि भाषण कला से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप कम्यूनिकेट कैसे करते हैं? गांधी जी अपने से बड़ी लाठी रखते थे, लेकिन अहिंसा से प्रतीक थे. उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी की टोपी पहनती थी. यह उनके कम्युनिकेशन की ताकत थी. वो कभी सत्ता पर नहीं बैठे, लेकिन मृत्यु के बाद जो नाम रखा, वो राजघाट रखा.”

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