Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर आज शनिवार को तारीखों का ऐलान किया जाएगा. इसके साथ- साथ ही राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भी घोषणा होगी. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उसमें ओडिशा, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल है. तारीखों की घोषणा के बाद ही देश भर में आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं यह आचार संहिता क्या होती है, इसे कौन लागू करता है, लागू हो जाने के बाद किन कामों को करने पर पाबंदी होती है और क्या क्या करने की इजाजत होती है.
आचार संहिता, निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही लागू हो जाती है और उसके बाद जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक आचार संहिता लागू रहती है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू रहती है जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान यह जिस राज्य में चुनाव हो रहा है वहां लागू की जाती है. इस दौरान कुछ नियामों का ध्यान रखना होता है.
ये भी पढ़ें- CAA लागू होने से असम के 27 लाख लोगों के अनलॉक होंगे बायोमेट्रिक्स, NRC अपडेट करने के दौरान किए गए थे लॉक
साल 1960 में हुई थी आचार संहिता की शुरुआत
बता दें कि सबसे पहले साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता की शुरूआत हुई थी. चुनाव आयोग ने 1962 को लोकसभा चुनाव में पहली बार इसके बारे में राजनीतिक दलों को इन नियमों के बारे में बताया था. 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हो गई थी. राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं, चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करना होता है. चुनाव पूरा होने के बाद आचार संहिता हटा लिया जाता है.
इन सभी चीज़ों पर रहती है पाबंदी
आचार संहिता नियम के अनुसार, सरकारी खर्च पर मंत्री चुनावी रैली नहीं कर सकते हैं. वहीं, इस अवधी के दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक के लिए कर सकते हैं. चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन के लिए नहीं किया जा सकता है, जिससे किसी राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुंचता हो. इसके अलावा सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास जैसे आयोजन नहीं कर सकते हैं.
धार्मिक स्थल से चुनाव प्रचार पर पाबंदी
आचार संहिता में सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती. अगर मान लीजिए की ट्रांसफर करना बहुत जरूरी हो तो चुनाव आयोग की पर्मिशन लेना आवशयक होता है. इसके अलावा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं हो सकता. सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है. रात 10.00 बजे से सुबह 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई
अगर कोई भी राजनीतिक दल या उसका प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है. उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. यही नहीं जरूरत पड़ने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है और जेल जाने तक का भी प्रावधान है.