Bangladesh Violence: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ सैन्य तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है. इस सरकार के नेतृत्व की जिम्मेदारी नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को सौंपी गई है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में 16 अन्य लोगों ने सरकार में मंत्री पद की शपथ ले ली है. इसमें बांग्लादेश के कट्टरपंथी खालिद हुसैन का नाम भी शामिल है.
मोहम्मद यूनुस सरकार में खालिद हुसैन को धार्मिक मामलों का मंत्री बनाया गया है. खालिद हुसैन की पहचान बांग्लादेश के कट्टरपंथियों में होती है. ऐसी स्थिति में खालिद हुसैन को धार्मिक मामलों की जिम्मेदारी सौंपना अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े करता है. बहरहाल, आइए जानते हैं कि आखिर खालिद हुसैन कौन है?
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कट्टरपंथी मौलाना है खालिद हुसैन
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में खालिद हुसैन को भी सलाहाकार बनाया गया है. खालिद हुसैन एक इस्लामी कट्टरपंथी देवबंदी मौलाना है. बताया जाता है कि खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश नाम से एक संगठन से जुड़ा हुआ है. इस संगठन का इतिहास रहा है कि यह हिंदू और खास तौर पर भारत विरोधी रैवया अपनाता रहा है. कहा तो ये भी जाता है कि हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश को अफगानिस्तान की तरह बनाना चाहता है.
इस संगठन का इतिहास हिंदू विरोधी हिंसा में लिप्त रहने का है. खालिद हुसैन इस संगठन का उपाध्यक्ष रहा है. वह कुछ वर्ष पहले तक इस संगठन का उप-मुखिया के तौर पर भी काम कर चुका है.यह संगठन लगातार बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लाम लाने की वकालत करता रहा है.
धार्मिक मंत्री बनने पर उठा सवाल
आपको बता दें कि खालिद हुसैन को बांग्लादेश में एक प्रमुख कट्टरपंथी के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में किसी कट्टरपंथी को ही धार्मिक मामलों का मंत्री बनाना कितना सही है. ये एक बड़ा सवाल है. यूनुस सरकार ने जब खालिद हुसैन को यह जिम्मेदारी दी है उसकी टाइमिंग भी काफी कुछ कहती है. दरअसल, कुछ दिन पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के गठन के बाद मोहम्मद यूनुस को सोशल मीडिया साइट एक्स पर बधाई देते हुए, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और संरक्षण की अपील की थी.
लेकिन इस अपील के बाद भी यूनुस सरकार ने खालिद हुसैन जैसे कंट्टरपंथी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी. ये साफ बताता है कि यूनुस सरकार का झुकाव ऐसे लोगों के प्रति ज्यादा है जिनका इतिहास अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को बढ़ावा देने का रहा है.