जानें कौन हैं स्वामी यशवीर महाराज, जो कांवड़ मार्ग पर चला रहे ‘पहचान अभियान’
स्वामी यशवीर महाराज
Kanwar Yatra Route: 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. इस महीने में शिव भक्त देशभर से बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए अलग अलग ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने के लिए कांवड़ लेकर निकलते हैं. देश के अलग अलग जगहों पर कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. अभी से ही इसकी तैयारी शुरू हो गई है. लोग सावन के पहले से ही कांवड़ लेकर निकल जाते हैं. इसी बीच कांवड़ यात्रा को लेकर एक नाम फिर से चर्चा में आ गया है. जो कांवड़ यात्रा रूट में ‘पहचान अभियान’ चला रहे हैं. इस शख्स का नाम स्वामी यशवीर महाराज है.
कौन है स्वामी यशवीर महाराज?
बीते दो सालों से कांवड़ यात्रा शुरू होते ही, स्वामी यशवीर का नाम सभी टीवी चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया पर सुर्खियों में बन जाता है. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. स्वामी यशवीर महाराज उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बघरा गांव में योग साधना आश्रम के संचालक और सनातन धर्म के प्रचारक हैं. वे कांवड़ यात्रा मार्ग पर ‘पहचान अभियान’ चलाने के लिए चर्चा में हैं, जिसके तहत ढाबों, होटलों और दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों की धार्मिक पहचान की जांच की जा रही है. उनका दावा है कि यह अभियान सनातन धर्म की पवित्रता और शिव भक्तों की आस्था की रक्षा के लिए है.
स्वामी यशवीर मुजफ्फरनगर से करीब 15 किलोमीटर दूर बघरा गांव में ‘योग साधना आश्रम’ चलाते हैं. इस आश्रम में उनके कई समर्थकों का जमावड़ा रहता है. बीबीसी के मुताबिक, स्वामी यशवीर आसपास के लोगों को योग सिखाते थे और फिर इस आश्रम की स्थापना की गई. इस आश्रम की स्थापना 2015 में हुई थी. यहां पर महंत अवैद्यनाथ भवन भी बनाया गया है. इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी ने किया था.
‘पहचान अभियान’ का उद्देश्य
स्वामी यशवीर का कहना है कि कांवड़ मार्ग पर कुछ लोग हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर ढाबे और दुकानें चलाकर शिव भक्तों को धोखा दे रहे हैं. वे विशेष रूप से उन ढाबों को निशाना बना रहे हैं, जो हिंदू नामों का उपयोग करते हैं लेकिन मुस्लिम मालिकों द्वारा संचालित हैं. इस अभियान में 5,000 स्वयंसेवक दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे-58 सहित कांवड़ मार्ग पर चेकिंग कर रहे हैं. वे दुकानदारों से आधार कार्ड मांगकर उनकी पहचान सत्यापित करते हैं और भगवान वराह की तस्वीरें और भगवा झंडे बांट रहे हैं.
विवादास्पद घटनाएं
यह अभियान तब विवादों में घिर गया जब मुजफ्फरनगर के ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ पर स्वामी यशवीर की टीम पर एक कर्मचारी की पैंट उतारकर उसकी धार्मिक पहचान जांचने का आरोप लगा. इस घटना ने सामाजिक और राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया. समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने इसकी कड़ी आलोचना की और स्वामी यशवीर पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया. स्वामी यशवीर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी टीम पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.
पुलिस कार्रवाई और नोटिस
मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस घटना के बाद स्वामी यशवीर की टीम के छह सदस्यों को नोटिस जारी किया. इस नोटिस में उन्हें तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया. स्वामी यशवीर ने पुलिस को चेतावनी दी कि यदि उनकी टीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ तो वे पूरे उत्तर प्रदेश में आंदोलन करेंगे.
उत्तराखंड पुलिस ने रोका
उत्तराखंड पुलिस ने स्वामी यशवीर को हरिद्वार में प्रवेश से रोक दिया. वे अपने समर्थकों के साथ हरिद्वार में भी ‘पहचान अभियान’ शुरू करने जा रहे थे, लेकिन नारसन चेकपोस्ट पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया. पुलिस का कहना था कि यह कदम कांवड़ यात्रा की सुरक्षा और सुचारुता बनाए रखने के लिए उठाया गया. स्वामी यशवीर ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि उनका अभियान रुकने वाला नहीं है.
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हिंदू संगठनों का समर्थन
स्वामी यशवीर के अभियान को 30 हिंदू संगठनों का समर्थन प्राप्त है. हिंदू संघर्ष समिति सहित ये संगठन दिल्ली-देहरादून हाईवे पर ढाबों की चेकिंग में शामिल हैं. स्वामी यशवीर ने कहा कि वे सनातन धर्म के नाम का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
बता दें कि स्वामी यशवीर पिछले कुछ वर्षों से कांवड़ मार्ग पर दुकानों और ढाबों पर नेमप्लेट लगाने की मांग करते रहे हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने 2024 में इस संबंध में आदेश जारी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी, जिसे स्वामी यशवीर ने निराशाजनक बताया.