Indian Defence Market: पीएम मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा था कि भारत पहले बाहर से हथियारों का इंपोर्ट करता था, लेकिन आज हम एक्सपोर्ट कर रहे हैं. पहले डिफेंस सेक्टर का बजट विदेश से रक्षा खरीदी में खर्च हो जाता था. लेकिन अब भारत तकरीबन 90 देशों को सैन्य हार्डवेयर निर्यात कर रहा है. ऐसे समय में जब देश के रक्षा मंत्री अमेरिका में डिफेंस डील्स को अंजाम दे रहे हैं, तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस समय कौन सा ऐसा देश है, जो भारतीय डिफेंस प्रोडक्ट्स के सबसे बड़े खरीदार के तौर पर उभर रहा है.
आपको बता दें कि वह देश है अमेरिका, जो भारत के कुल रक्षा निर्यात का लगभग 50 फीसदी का खरीददार है. इस साल अप्रैल-जून के दौरान भारत का रक्षा निर्यात 6,915 करोड़ रुपये रहा. यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 3,885 करोड़ रुपये के आंकड़े से 78 फीसदी अधिक है. जबकि पिछले साल की तरह ही इस साल भी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमशः 60 फीसदी और 40 फीसदी रही है.
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10 सालों में 31 फीसदी की बढ़ोतरी
पिछले एक दशक में भारत ने अपने रक्षा निर्यात में जबरदस्त उछाल लेकर आया है, जो पिछले 10 सालों में 31 फीसदी बढ़ा है. भारत अब 90 से ज़्यादा देशों को सैन्य हार्डवेयर निर्यात कर रहा है. वहीं ज्योपॉलिटिकल टेंशन रूस-यूक्रेन युद्ध और इस्राइल-हमास युद्ध से भी निर्यात में बढ़ोतरी हुई है और भारत एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश के तौर पर उभरा है. इस साल अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने एलान किया था कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत का रक्षा निर्यात 32.5 फीसदी बढ़ा और पहली बार 21,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया, क्योंकि सरकार का फोकस स्वदेशी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम के साथ-साथ सैन्य निर्यात को बढ़ावा देने पर रहा.
इन उपकरणों का निर्यात कर रहा भारत
इस समय सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां मिलिट्री हार्डवेयर में डोर्नियर-228, मिसाइल, तोपें, रॉकेट, आर्मर्ड व्हीकल्स, स्नाइपर राइफलें, आर्टिलरी गन, बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट, ड्रोन, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका रॉकेट, हल्के टॉरपीडो, सिमुलेटर, ऑफशोर पेट्रोल वेसेल्स, पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर्स, विभिन्न प्रकार के रडार, सर्विलांस सिस्टम और गोला-बारूद सहित कई तरह के सैन्य उत्पादों का निर्यात कर रही हैं. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन निर्यातों ने शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों में भारत की स्थिति को काफी मजबूत किया है, जो भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है.
ये कंपनियां है अव्वल
एचएएल, बीडीएल और बीईएल जैसी सरकारी कंपनियों को छोड़ दें, तो भारत के रक्षा निर्यात को आगे बढ़ाने में करीब 100 घरेलू कंपनियों ने अहम भूमिका निभाई है. लेकिन टॉप कंपनियों की लिस्ट में टाटा ग्रुप, कल्याणी, एलएंडटी या महिंद्रा डिफेंस नहीं है. बल्कि रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि बेंगलुरु स्थित इंडो-एमआईएम टॉप पर है. यह कंपनी मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग (एमआईएम) बनाती है. अमेरिका, यूरोप और एशिया के 50 से अधिक देश इसके ग्राहक हैं. भारत के अलावा, इसकी मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी अमेरिका और यूके में भी हैं.